MP encroachers looted guns from forest department outpost in nepanagar of burhanpur: digi desk/BHN/बुरहानपुर/बेकाबू हो चुके जंगल के अतिक्रमणकारी अब नक्सलियों की तरह लूटपाट पर उतर आए हैं। सोमवार रात तीर कमान और कुल्हाड़ी जैसे घातक हथियारों से लैस बीस से ज्यादा अतिक्रमणकारी बाकड़ी गांव स्थित वन चौकी पहुंच गए। उन्होंने वहां मौजूद चौकीदार भोला और उसकी पत्नी मोहिनी से मारपीट कर अलमारी की चावी ली। अलमारी में रखी पंद्रह से ज्यादा बंदूकें लूटकर जंगल लौट गए। नेपानगर क्षेत्र के सीवल, बाकड़ी, घाघरला के जंगल में बीते करीब ढाई माह से छिपे तीन सौ से ज्यादा अतिक्रमणकारी अब तक 50 हजार से ज्यादा सागौन व अन्य कीमती पेड़ काट चुके हैं। जिस तरह से अतिक्रमणकारी पुलिस और वन विभाग की टीम पर हमले कर जंगल से खदेड़ रहे हैं, उसे देखते हुए नेपानगर क्षेत्र का जंगल वन विभाग के हाथ से फिसलता नजर आ रहा है।
हालात ऐसे ही बने रहे तो आने वाले चंद महीने में ही क्षेत्र का जंगल खाली मैदान नजर आ सकता है। बंदूकें लूटने की सूचना मिलने के बाद मंगलवार सुबह कलेक्टर भव्या मित्तल, एसपी राहुल लोढ़ा और डीएफओ प्रदीप मिश्र बाकड़ी पहुंचे थे। हालात का जायजा लेने संभागायुक्त डा. पवन शर्मा और आइजी राकेश गुप्ता भी बुरहानपुर पहुंच रहे हैं। प्रदेश के कई जिलों से बुलाए गए करीब 400 वनकर्मी भी घाघरला व आसपास के गांवों में डेरा डाले हुए हैं।
दो माह से काई कर्मचारी चौकी नहीं गया
वन विभाग कागजों में बाकड़ी स्थित वन चौकी में विभाग के अफसरों और कर्मचारियों की ड्यूटी लगा रहा है, लेकिन बीते दो माह से अतिक्रमणकारियों के डर से कोई भी अफसर अथवा कर्मचारी चौकी में नहीं पहुंचा। वन चौकी को लावारिस छोड़ दिए जाने के कारण ही अतिक्रमणकारियों ने बंदूकें लूटने की साजिश रची और उसे अंजाम तक पहुंचा दिया। चौकीदार भोला ने द्वारा इसकी पुष्टि किए जाने के बाद डीएफओ प्रदीप मिश्र ने संबंधित कर्मचारियों के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की है।
हमले की खास शैली दिलाती है जीत
नावरा रेंज के जंगलों में छिपकर पेड़ों की अवैध कटाई और वनभूमि पर कब्जा कर रहे अतिक्रमणकारियों को खदेड़ने गई वन और पुलिस विभाग की संयुक्त टीम को कई बार घायल होकर लौटना पड़ा है। संयुक्त दल पर बीते तीन साल में दस से ज्यादा हमले हो चुके हैं। जिनमें कई जवान घायल हुए हैं। इनमें से चार हमले हाल के ढाई माह के अंदर हुए हैं। दरअसल आदिवासी अतिक्रमणकारियों द्वारा अपनाई जाने वाली हमले की खास शैली उन्हें हर बार जीत दिलाती है। सैकड़ों साल पहले यह शैली वन्यप्राणियों के शिकार अथवा उन्हें पकड़ने के लिए इस्तेमाल होती थी। पुलिस और वनकर्मियों के पहुंचने से पहले वे तीर कमान और गोफन लेकर जंगल की पहाड़ी पर तीन ओर से घेराबंदी कर लेते हैं। जैसे ही पुलिस टीम इस पहाड़ी के नीचे पहुंचती है वे तीर और पत्थर बरसाना शुरू कर देते हैं। जिससे टीम को बैरंग लौटना पड़ता है।
सवा लाख एकड़ वनभूमि पर कब्जा
जिले में 1.90 लाख हेक्टेयर में वनक्षेत्र हैं। इसमें से करीब 57 हजार हेक्टेयर यानी सवा लाख एकड़ से ज्यादा पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो चुका है। इस भूमि पर अब आदिवासी रहने के साथ ही खेती कर रहे हैं। बुरहानपुर के नेपानगर क्षेत्र ही नहीं बल्कि खकनार क्षेत्र के जंगलों में भी अतिक्रमण का सिलसिला जारी है। विभागीय आंकड़ों के मुताबिक इस साल अतिक्रमणकारियों ने नावरा रेंज में करीब सवा सौ हेक्टेयर का जंगल काटकर खेती योग्य मैदान बना दिया है।
वन और पुलिस विभाग के दल पर इस तरह हुए हमले
- – 5 जुलाई 2020 को घाघरला क्षेत्र में वन अमले व ग्रामीणों पर पत्थर से हमला हुआ।
- -10 जुलाई 2020 को वन अमले से अभद्रता कर अतिक्रमणकारियों ने जंगल से भगा दिया।
- -19 जुलाई 2020 को कक्ष क्रमांक 278ए 279 और 280 में वन अमले पर हमला हुआ।
- – 7 अगस्त 2020 को कक्ष क्रमांक 279 में अतिक्रमणकारियों ने गोफान व तीर से हमला किया।
- – 7 नवंबर 2020 को घाघरला के कक्ष क्रमांक 279 में वन और पुलिसकर्मियों पर हमला हुआ।
- – 21 नवंबर 2021 को चिड़ियापानी में हमला हुआ। जान बचाने पुलिस ने हवाई फायरिंग की।
- – 2 जुलाई 2021 को दहीनाला उत्तर बीट 134 में वनकर्मियों पर अतिक्रणकारियों ने हमला किया।
- – 11 अक्टूबर 2022 को नावरा रेंजर पुष्पेंद्रसिंह व उनकी टीम पर बाकड़ी के पास हमला हुआ।
- – 26 अक्टूबर 2022 को साईंखेड़ा बीट में वन और पुलिस टीम पर हमला कर वाहन तोड़े।
- – 31 अक्टूबर 2022 को सीवल पहुंचे वन और पुलिस कर्मियों पर पत्थर से हमला हुआ।