Bhisham Panchnak Vrat Story: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ भीष्म पंचक का व्रत सभी पापों का नाश करने वाला तथा अक्षय फलदायक माना जाता है। जिसकी शुरुआत भगवान श्री कृष्ण ने करवाई थी। भीष्म पंचक कार्तिक शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होता है और कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को समाप्त होता है। जो की इस बार 4 नवंबर 2022 को पड़ेगा। आइए जानते हैं व्रत विधि।
भीष्म पंचक व्रत विधि
– कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन दैनिक कार्यों से निवृत होकर घर के आंगन या नदी के किनारे मंडप बनाएं और उसे गोबर से लीपें।– इसके बाद वहां वेदी बनाकर तिल भरकर कलश की स्थापना करें और ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र से भगवान वासुदेव की पूजा करें।– इस स्थान पर लगातार पांच दिनों तक घी का दीपक जलाकर रखें और मौन होकर मंत्र का जाप करना करें।
– आखिर में ॐ विष्णवे नमः स्वाहा मंत्र से घी, तिल और जौ की 108 आहुतियां देकर हवन करें।
क्यों किया जाता है भीष्म पंचक व्रत?
महाभारत युद्ध की समाप्ती के बाद जब भीष्म पितामह शरशैय्या पर सूर्य के उत्तरायण होने की प्रतीक्षा कर रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण के आदेश पर पांचों पांडवों ने कार्तिक शुक्ल एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक पितामह से धर्म उपदेश ग्रहण किया था। उन्हीं पांच दिनों की स्मृति में पांच दिन का भीष्म पंचक व्रत किया जाता है।
व्रत का धार्मिक महत्व
कार्तिक मास में भीष्म पंचक व्रत का खास महत्व है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने वाले व्यक्ति द्वारा पूर्व में किए गए पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है। साख ही यह व्रत बहुत ही कल्याणकारी माना जाता है। भीष्म पंचक व्रत को जो भक्त श्रद्धापूर्वक करता है, उसे मृत्यु के पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है। मान्यता के अनुसार जो भी साधक इस व्रत को करता है उसपर सदैव प्रभु की कृपा बनी रहती है।