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Congress President Election: मल्लिकार्जुन खड़गे बने कांग्रेस अध्यक्ष, हार के बाद थरूर ने दी बधाई

Congress President Election Result: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ कांग्रेस पार्टी में 24 साल के लंबे अंतराल के बाद आज गांधी परिवार से बाहर का कोई व्यक्ति नया अध्यक्ष अब पार्टी की कमान संभालेगा। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में मल्लिकार्जुन खगडे ने शानदार जीत हासिल कर ली है। अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़गे को 7897 वोट मिले हैं, वहीं शशि थरूर को सिर्फ 1000 के करीब ही वोट मिले। समाचार एजेंसी ने जानकारी दी है कि करीब 416 वोट खारिज हो गए। चुनाव नतीजों से पहले शशि थरूर के इलेक्शन एजेंट सलमान सोज ने उत्तर प्रदेश के सभी वोट रद्द करने की मांग की है। हालांकि खुद शशि थरूर ने ट्वीट कर खडगे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने को सम्मान की बात बताया है। कांग्रेस के केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने जानकारी दी है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए करीब 96 प्रतिशत मतदान था। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और कई वरिष्ठ नेताओं सहित करीब 9500 निर्वाचक मंडल के सदस्यों ने सोमवार को वोट डाला था।

137 के इतिहास में सिर्फ 6 बार चुनाव

कांग्रेस पार्टी के 137 साल के इतिहास में अभी तक अध्यक्ष पद के लिए सिर्फ 6 बार चुनाव हुए हैं। कांग्रेस पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने जानकारी दी कि कांग्रेस में 1939, 1950, 1977, 1997 और 2000 में चुनाव हुए थे और अब 22 वर्षों के बाद अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हो रहा है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस चुनाव में 24 साल बाद गांधी परिवार के बाहर कोई नेता कांग्रेस पार्टी की कमान संभालेगा।

खड़गे के सामने चुनौतियों का पहाड़, गुजरात-हिमाचल चुनाव में अग्निपरीक्षा

कांग्रेस के दिग्गज नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के नए अध्यक्ष होंगे। खड़गे ने अध्यक्ष पद का चुनाव जीत लिया है। पार्टी के इतिहास में करीब दो दशक के बाद अध्यक्ष पद का चुनाव हुआ। 24 साल बाद गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष कांग्रेस को मिला है। लेकिन नए अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के सामने चुनौतियों का पडाड़ है। खड़गे की ताजपोशी ऐसे वक्त में हुई है, जब पार्टी सबसे कमजोर मुकाम पर खड़ी है। कांग्रेस का जनाधार सिमटता जा रहा है। नेताओं का पार्टी छोड़ने का सिलसिला थम नहीं रहा है। इधर गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधान चुनाव का शंखनाद हो चुका है। ऐसे में मल्लिकार्जुन के सामने खुद को साबित करने की बड़ी चुनौती है। साथ ही बड़े नेताओं के पार्टी छोड़ने के सिलसिले को रोकने का चैलेंज है।

मल्लिकार्जुन खड़गे की पहली परीक्षा

खड़गे के हाथों में पार्टी की कमान ऐसे समय आई है। जब गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव है। गुजरात में कांग्रेस 27 साल और हिमाचल में पांच साल से बाहर है। ऐसे में मल्लिकार्जुन की पहली परीक्षा दोनों राज्यों में चुनाव में है। हिमाचल में भाजपा और कांग्रेस की सीधी लड़ाई है, लेकिन गुजरात में पार्टी का मुकाबला बीजेपी और आम आदमी पार्टी के साथ है।

संगठन को खड़ा करना

मल्लिकार्जुन खड़गे को सबसे पहले कांग्रेस नेताओं में आत्मविश्वास पैदा करना होगा। साथ ही जमीन स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए कुछ कदम उठाने होंगे। जिससे पार्टी में भविष्य को लेकर अच्छे लीडर सामने आए। कांग्रेस संगठन बिखरा हुआ है। ऐसे में दोबारा से पार्टी को खड़े करना का काम मल्लिकार्जुन को करना है।

वरिष्ठ और युवाओं के बीच संतुलन

पार्टी के अंदर युवा और वरिष्ठ नेताओं के बीच संतुलन नहीं है। जिसके कारण बड़े नेता पार्टी छोड़ रहे हैं। राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनुमटाव जग जाहिर है। अन्य राज्यों में भी युवा और सीनियर नेताओं के बीच तालमेल नहीं हैं। ऐसे में खड़गे के सामने युवा और बुजुर्ग नेताओं को साथ लेकर चलना बड़ी चुनौती है।

सत्ता में बनाए रखने की चुनौती

कांग्रेस का राजनीतिक आधार खिसकता जा रहा है। पार्टी फिलहाल राजस्थान और छत्तीसगढ़ में है, जबकि झारखंड, बिहार और तमिलनाडु में सहयोगी रूप में है। यदि पार्टी आगे अपनी सरकार बचाने में सफर नहीं होती है, तो भाजपा का कांग्रेस मुक्त भारत का नारा साकार हो जाएगा।

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