Gas Price Hike: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ एक अक्टूबर से आम जनता को एक बार फिर महंगाई का झटका लग सकता है। अनुमान जताया जा रहा है कि अक्टूबर की पहली तारीख से सीएनजी से लेकर पीएनजी तक महंगा हो सकता है। दरअसल 1 अक्टूबर को रसोई गैस LPG सिलेंडर की कीमतें तय होनी है। अगर बीते 2 से 3 महीने का ट्रेंड देखें तो सरकार ने घरेलू 14 किलोग्राम वाले सिलेंडर की कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया है। वहीं, 19 किलोग्राम वाले कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में कमी की है। ऐसे में त्योहारों के महीने में आम लोगों की उम्मीद रहेगी कि सरकार घरेलू और कमर्शियल सिलेंडर की कीमतों को थोड़ा कम करे। क्योंकि घरेलू गैस आम जनता के रोजमर्रा की जरुरत का हिस्सा है और इसकी कीमतें बढ़ीं, तो सभी वर्गों को झटका लगेगा। यही नहीं, बिजली से लेकर खाद भी महंगी हो सकती है।
क्यों बढ़ेंगी कीमतें
रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते लगातार अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्राकृतिक गैस ( Natural Gas) के दामों में बढ़ोतरी देखने को मिली है। प्राकृतिक गैस की कीमत 40 प्रतिशत बढ़कर रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। इसी के साथ अब ये अनुमान लगाया जा रहा है कि महीने की पहली तारीख को होने वाली एलपीजी की समीक्षा में एलपीजी की कीमत भी बढ़ सकती है। आपको बता दें सरकार हर छह माह पर घरेलू प्राकृतिक गैस के दामों की समीक्षा करती है। यह समीक्षा हर साल 1 अप्रैल और 1 अक्टूबर को करती है। अब नेचुरल गैस की कीमत बढ़ने पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि सीएनजी की कीमत बढ़ाई जा सकती हैं।
आपको बता दें अगर प्राकृतिक गैस के दाम एक डॉलर बढ़ता है तो सीएनजी के दाम 4.5 रुपये प्रति किलो तक बढ़ जाते हैं। ऐसे में सीएनजी के दाम 12 से 13 रुपये प्रति किलो तक बढ़ाने की दरकार हो सकती है। वहीं बिजली से लेकर घरों में सप्लाई की जाने वाली पीएनजी के दाम भी बढ़ जायेंगे। साथ ही सरकार पर फर्टिलाइजर सब्सिडी बिल के खर्च का बोझ भी बढ़ेगा।
कच्चे तेल की कीमत में भी बढ़ोतरी
इसके अलावा शुक्रवार को कच्चे तेल की कीमत में तेजी देखने को मिली। कच्चे तेल की कीमत 27 रुपये की तेजी के साथ 6,727 रुपये प्रति बैरल हो गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज में कच्चे तेल के डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत में भी तेजी दर्ज की गई। अक्टूबर महीने में डिलीवरी वाले अनुबंध की कीमत 27 रुपये या 0.4 प्रतिशत की तेजी के साथ 6,727 रुपये प्रति बैरल हो गई। ऐसे में पेट्रोल-डीजलों की कीमतों में बढ़ोतरी का फैसला हो सकता है। यानी जनता पर एक साथ कई तरफ से महंगाई की मार पड़ेगी।