MP, kidney transplant madhya pradesh high court allows kidney transplant of friend: digi desk/BHN /जबलपुर/ हाई कोर्ट ने एक मामले में नियम से ऊपर उठकर मानवीय संवेदना के आधार पर निर्णय लिया। इसके तहत दोस्त की किडनी प्रत्यारोपित करने की अनुमति दे दी। नियमानुसार सिर्फ रक्त संबंधी ही किडनी दान कर सकता है।
हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की एकलपीठ ने अपने आदेश में महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि वर्तमान में याचिकाकर्ता जिंदगी और मौत के बीच जंग लड़ रहा है। लिहाजा, किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी तत्काल अनिवार्य है। अब जबकि शीघ्र ही आपरेशन होने वाला है, जिससे जान बच सकती है। इस स्थिति में अब राज्य शासन को जवाब पेश करने मोहलत नहीं दी जा सकती। विशेषज्ञ डाक्टर्स इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि याचिकाकर्ता को उसका दोस्त किडनी दान कर सकता है, इसलिए विलंब किया जाना उचित नहीं होगा।
सुरेश व राम प्रसाद के बीच दोस्ती की मिसाल
राज्य शासन ने नियमों का हवाला देते हुए दोस्त को किडनी दान करने के सिलसिले में अनापत्ति देने से इन्कार कर दिया गया था। इसलिए राजधानी भोपाल निवासी सुरेश गर्ग व राम प्रसाद पांडे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। इसके जरिये किडनी प्रत्यारोपण की अनुमति मांगी गई। सुरेश को उसका मित्र राम प्रसाद किडनी दान करने तैयार है, लेकिन नियम बाधक बन रहे हैं। दोस्ती की मिसाल पेश करने के इस मामले को हाई कोर्ट ने संवेदनापूर्वक सुना और निर्णय सुनाया।
क्या है निर्धारित नियम
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता कपिल शर्मा ने बताया कि ट्रांसप्लांटेशन आफ ह्यूमन आर्गन्स (अमेंडमेंट) एक्ट 2011 के तहत केवल खून के रिश्ते या करीबी रिश्तेदार ही किडनी ट्रांसप्लांट कर सकता है। उन्होंने बताया कि राम प्रसाद अपनी इच्छा से अपने दोस्त सुरेश को किडनी दान करना चाहता है।
विशेषज्ञ चिकित्सकों ने सभी जांचें करने के बाद पाया किडनी प्रत्यारोपित की जा सकती है। अधिवक्ता शर्मा ने बताया कि सभी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद भी उक्त अधिनियम के तहत सरकार द्वारा गठित अधिकृत कमेटी ने दो बार किडनी प्रत्यारोपण की अनापत्ति देने से इन्कार कर दिया था। लिहाजा, न्यायहित में हाई कोर्ट की शरण ली गई थी।