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Vastu Tips: अशुभ नहीं होता दक्षिण मुखी घर, इन वास्तु टिप्स से घर में बढ़ाएं सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव

Vastu tips south facing house is not inauspicious increase energy flow in the house with these vastu tips: digi desk/BHN/नई दिल्ली/   वास्तु शास्त्र एक व्यापक विज्ञान है, इसलिए इससे जुड़े कई मिथक प्रचलित हैं। सबसे बड़ी अफवाहों में से एक यह है कि दक्षिण मुखी घर अशुभ होता है। यह मिथक इतना ज्यादा प्रचलन में आ गया है कि लोग दक्षिण दिशा में घर या कार्यालय खरीदने या बनाने से डरते हैं। हालांकि वास्तु शास्त्र में दक्षिण मुखी घर से संबंधित ऐसा कोई नियम बताया ही नहीं गया है। वास्तु शास्त्र में ऐसी कोई शुभ या अशुभ दिशा नहीं है। यह पूरी तरह से व्यक्ति के जन्म की तारीख पर निर्भर करता है। अनुकूल दिशा की सहायता से व्यक्ति घर या कार्यालय में ऊर्जा का मुक्त प्रवाह कर सकता है। अपने आसपास की ब्रह्मांडीय ऊर्जा को भी संतुलित कर सकता है और घर में सकारात्मक प्रभाव ला सकता है। यदि दक्षिण मुखी घर को वास्तु अनुकूल बनाया जाए तो ऐसे घर में रहने वाले लोगों को अन्य दिशाओं की तुलना में अधिक प्रसिद्धि और सम्मान मिल सकता है। यदि आपका घर भी दक्षिण मुखी है तो अपने घर में इन वास्तु टिप्स का इस्तेमाल कर सकते हैं –

दक्षिण पश्चिम दिशा में नहीं हो मुख्य द्वार

घर का मुख्य द्वार दक्षिण-पूर्व कोने में होना चाहिए। दक्षिण मुखी घर में दक्षिण-पश्चिम का मुख्य द्वार नहीं होना चाहिए। दक्षिण से उत्तर दिशा में और पश्चिम से पूर्व दिशा में अधिक खुली जगह छोड़नी चाहिए।

जल संग्रहण का रखें विशेष ध्यान

यदि आपका घर दक्षिणमुखी है तो भूमिगत टैंक जैसे पानी की टंकी, बोरिंग, कुआं आदि उत्तर दिशा, उत्तर पूर्व, पूर्व उत्तर और पूर्व दिशा के बीच की दीवार के साथ होना चाहिए। सेप्टिक टैंक केवल उत्तर या पूर्व दिशा में ही बनाएं।

पानी की निकासी का भी रखें ध्यान

दक्षिण मुखी घरों में ईशान कोण को छोटा नहीं करना चाहिए। भवन के किसी भी हिस्से का फर्श नीचा नहीं होना चाहिए। यदि आप स्वच्छता के लिए थोड़ा ढलान देना चाहते हैं, तो आप उत्तर, पूर्व दिशा या उत्तर पूर्व की ओर ढलान कर सकते हैं। इसी तरह प्लॉट के खुले हिस्से का ढलान भी उत्तर, पूर्व दिशा और उत्तर पूर्व की ओर होना चाहिए ताकि बारिश का पानी केवल ईशान कोण से ही निकले। यदि उत्तर या पूर्व दिशा में जल निकासी व्यवस्था संभव नहीं है, तो ऐसी स्थिति में भूखंड के पूर्व की ओर से परिसर की दीवार के साथ पूर्व की ओर से एक नाला बनाएं या पूर्व दिशा से नाली बनाकर इसे उत्तर पूर्व से बाहर निकाल दें।

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