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Pitru Paksha: पितृपक्ष में किस दिन होगा मातृ नवमी का श्राद्ध, जानिए पूरी विधि और महत्व

Pitru Paksha 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/  हिंदू धर्म में पितरों के मोक्ष की कामना के लिए पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान आदि करने की परंपरा चली आ रही है। माना जाता है कि पितृपक्ष में पितरों के लिए श्राद्ध करने पर उन्हें मुक्ति मिलती है। साथ ही उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। पितृपक्ष में दिवंगत लोगों के तिथि के अनुसार श्राद्ध किया जाता है। पितृ पक्ष के 16 दिनों में मातृ नवमी तिथि पर किया जाने वाला श्राद्ध काफी विशेष माना जाता है। पंचांग के अनुसार आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि 18 सितंबर 2022 को सायंकाल 04:32 बजे से प्रारंभ हो कर 19 सितंबर 2022 को सायंकाल 07:01 बजे तक रहेगी। इस दिन पितरों के लिए किए जाने वाले श्राद्ध हेतु सबसे उत्तम तिथि माने जाने वाली 19 सितंबर को प्रातः काल 11:50 से दोपहर 12:39 तक रहेगी। 19 सितंबर को इसी समय में मातृ नवमी का श्राद्ध करने का प्रयास करें।

ऐसे करें मातृ नवमी का श्राद्ध

मातृ नवमी के दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके बाद साफ कपड़े पहनकर कुतुप बेला में पितरों को विधि-विधान से श्राद्ध करें। इसके लिए एक सफेद चौकी या मेज पर दिवंगत पूर्वज की तस्वीर रखें और यदि उनकी तस्वीर न हो तो वहां पर पूजा की सुपारी रख दें। उस पर फूल, तुलसी और गंगाजल चढ़ाएं। उनकी फोटो के आगे तिल का दीपक और धूपबत्ती जलाएं। पूजा के बाद यदि संभव हो तो गरुड़ पुराण, गजेन्द्र मोक्ष या भागवत गीता के नौवें अध्याय का पाठ करें। इसके बाद श्राद्ध के भोजन को दक्षिण दिशा में रखें। ब्राह्मण को भोजन कराएं। सामर्थ्य के अनुसार उसे दान करें। इस दिन पितरों को तांबे के लोटे में जल और काला तिल मिलाकर तर्पण करना बिल्कुल न भूलें।

नवमी श्राद्ध का महत्व

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष में पड़ने वाली मातृ नवमी के दिन परिवर से जुड़ी उन दिवंगत महिलाओं जैसे दादी, मां, बहन, बेटी आदि के लिए विशेष रूप से श्राद्ध किया जाता है। जिनकी मृत्यु सुहागिन के रूप में होती है। जिसे अविधवा श्राद्ध भी कहते हैं। माना जाता है कि इस दिन परिवार से जुड़ी महिलाओं के लिए विधि-विधान से श्राद्ध करने पर उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। इससे पितृ प्रसन्न होकर आपको आशीर्वाद देते हैं।

 

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