Commissioning of INS Vikrant: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ कर्नाटक दौरे के दूसरे दिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह 9:30 बजे कोच्चि के कोचीन शिपयार्ड पहुंचे और नौसेना के नये निशान (Ensignia) का अनावरण किया। अब तक ब्रिटिश काल का ध्वज इस्तेमाल किया जा रहा था। अब इसे औपनिवेशिक अतीत से अलग और समृद्ध भारतीय सामुद्रिक विरासत के अनुरूप डिजाइन किया गया है। इस खास मौके प्रधानमंत्री के साथ नौसेना के तमाम वरिष्ठ अधिकारी और रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद हैं। इसके बाद पीएम ने पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को देश को समर्पित किया।
पीएम मोदी का संबोधन
- इस मौके पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देश तेजी से आत्मनिर्भर और सशक्त हो रहा है।
- आज यहाँ केरल के समुद्री तट पर भारत, हर भारतवासी, एक नए भविष्य के सूर्योदय का साक्षी बन रहा है।INS विक्रांत पर हो रहा ये आयोजन विश्व क्षितिज पर भारत के बुलंद होते हौसलों की हुंकार है।
- विक्रांत विशाल है, विराट है, विहंगम है। विक्रांत विशिष्ट है, विक्रांत विशेष भी है। विक्रांत केवल एक युद्धपोत नहीं है। ये 21वीं सदी के भारत के परिश्रम, प्रतिभा, प्रभाव और प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
- यदि लक्ष्य दुरन्त हैं, यात्राएं दिगंत हैं, समंदर और चुनौतियाँ अनंत हैं – तो भारत का उत्तर है विक्रांत। आजादी के अमृत महोत्सव का अतुलनीय अमृत है विक्रांत। आत्मनिर्भर होते भारत का अद्वितीय प्रतिबिंब है विक्रांत।
- आज भारत विश्व के उन देशों में शामिल हो गया है, जो स्वदेशी तकनीक से इतने विशाल एयरक्राफ्ट कैरियर का निर्माण करता है। आज INS विक्रांत ने देश को एक नए विश्वास से भर दिया है, देश में एक नया भरोसा पैदा कर दिया है।
- INS विक्रांत के हर भाग की अपनी एक खूबी है, एक ताकत है, अपनी एक विकासयात्रा भी है। ये स्वदेशी सामर्थ्य, स्वदेशी संसाधन और स्वदेशी कौशल का प्रतीक है। इसके एयरबेस में जो स्टील लगी है, वो स्टील भी स्वदेशी है।
- छत्रपति वीर शिवाजी महाराज ने इस समुद्री सामर्थ्य के दम पर ऐसी नौसेना का निर्माण किया, जो दुश्मनों की नींद उड़ाकर रखती थी।
- जब अंग्रेज भारत आए, तो वो भारतीय जहाजों और उनके जरिए होने वाले व्यापार की ताकत से घबराए रहते थे। इसलिए उन्होंने भारत के समुद्री सामर्थ्य की कमर तोड़ने का फैसला लिया।
- इतिहास गवाह है कि कैसे उस समय ब्रिटिश संसद में कानून बनाकर भारतीय जहाजों और व्यापारियों पर कड़े प्रतिबंध लगा दिए गए।
- अब तक भारतीय नौसेना के ध्वज पर गुलामी की पहचान बनी हुई थी। लेकिन अब आज से छत्रपति शिवाजी से प्रेरित, नौसेना का नया ध्वज समंदर और आसमान में लहराएगा।
- आज 2 सितंबर, 2022 की ऐतिहासिक तारीख को, इतिहास बदलने वाला एक और काम हुआ है। आज भारत ने, गुलामी के एक निशान, गुलामी के एक बोझ को अपने सीने से उतार दिया है। आज से भारतीय नौसेना को एक नया ध्वज मिला है।
क्या है आईएनएस विक्रांत की खासियत
‘मेक इन इंडिया’ के तहत विकसित पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत आईएनएस विक्रांत को इस दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। इसका डिजाइन भारतीय नौसेना की अपनी संस्था वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार किया है और इसका निर्माण पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक क्षेत्र की शिपयार्ड कंपनी, कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने किया है। विक्रांत अत्याधुनिक स्वचालित विशेषताओं से लैस है और वह भारत के सामुद्रिक इतिहास में अब तक का सबसे विशाल स्वनिर्मित पोत है। विक्रांत के नौसेना में शामिल होने लोकार्पण के साथ भारत के पास दो सक्रिय विमान वाहक पोत हो गये हैं, जिनसे देश की समुद्री सीमाओं की रक्षा में मदद मिलेगी।