Crime, dehradun mass murder in rishikesh superstition created havoc killed five family members: digi desk/BHN/ऋषिकेश/ ऋषिकेश में रानीपोखरी के नागाघेर में महेश तिवारी ने हैवानियत की सारी हदें पार करते हुए अपनी बुजुर्ग मां बीतन देवी, पत्नी नीतू और तीन बेटियों अपर्णा, स्वर्णा और अन्नपूर्णा की बेरहमी से गला रेतकर हत्या कर दी थी। महेश के छोटे भाई नरेश ने नम आंखों और कांपते हाथों से सभी शवों को मुखाग्नि दी।
दिन भर पूजा पाठ करने वाले हत्यारोपी महेश में अंधविश्वास कूट कूट कर भरा था। पड़ोसियों का कहना है कि वह अक्सर बताता था कि उसे खून देखकर डर लगता है लेकिन सोमवार को उसके हाथ पांच परिजनों के खून से सने थे। महेश जिस घर में रहता था वह काफी बड़ा है। इस घर को महेश के बड़े भाई उमेश ने ऋषिकेश के ही एक प्रसिद्ध चिकित्सक से खरीदा था। पड़ोसियों ने बताया कि बताया महेश अंधविश्वासी था।
भीषण गर्मी के बीच भी उसके घर की खिड़कियां हमेशा बंद ही रहती थीं। उसने खिड़कियों पर अखबार चिपका रखे थे ताकि कोई अंदर न देख सके। आलीशान घर में बगीचे के लिए पर्याप्त जगह थी लेकिन सब जगह बड़ी बड़ी घास उगी हुई थी। अगर उसे कांटे वाला पौधा दिख जाता था तो वह भड़क जाता था।
घर के बाहर मेन गेट पर भी हमेशा ताला लगा रहता था। पड़ोसियों के अनुसार अंधविश्वास के कारण ही वह तंत्र-मंत्र करने लगा था और इसी अंधविश्वास ने उसे हैवान बना दिया। उसे पहले खून देखकर डर लगता था। कई बार वह इस बारे में बात किया करता था।
सोमवार को जब महेश ने वारदात को अंजाम दिया तब उसकी छोटी बेटी अन्नपूर्णा ने पड़ोसियों को आवाज लगाने के लिए पहले एक खिड़की खोली। पड़ोसी सुबोध जायसवाल की पत्नी गीता जायसवाल ने उसकी आवाज सुनी।
उन्होंने पति सुबोध को अन्नपूर्णा को देखने के लिए भेजा। जब सुबोध ने खिड़की से देखा तो महेश छोटी बेटी को काबू करने का प्रयास कर रहा था। लेकिन, फिर खून से सने हाथों से महेश ने खिड़की बंद कर दी।इसके बाद अन्नपूर्णा ने दूसरी खिड़की खोलने का प्रयास किया लेकिन वह आधी ही खुली। जब पड़ोसी ने भीतर देखा तो महेश अपनी बेटी का गला रेत रहा था।