MP high court said take concrete steps for online anti gambling law: digi desk/BHN/जबलपुर/ मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने राज्य शासन को निर्देश दिया है कि तीन माह के भीतर आनलाइन गैंबलिंग निरोधी कानून बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही एक्शन टेकन रिपोर्ट भी पेश की जाए। मामले की अगली सुनवाई 30 नवंबर को निर्धारित कर दी गई।
न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष सिंगरौली निवासी सनत कुमार जैसवाल की जमानत अर्जी पर सुनवाई हुई। सनत पर आरोप है कि उसने अपने नाना के खाते से आठ लाख 51 हजार रुपये निकाल लिए। इस रकम को उसने आइपीएल के सट्टे में लगाकर बर्बाद कर दिया। केंद्र सरकार की ओर से असिस्टेंट सालिसिटर जनरल पुष्पेंद्र यादव ने कोर्ट को बताया कि गैंबलिंग व बेटिंग (जुआ व सट्टा) राज्य सूची का विषय है। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता जीपी सिंह ने विधि एवं विधायी कार्य विभाग के प्रमुख सचिव का शपथपत्र पेश किया। कोर्ट को बताया कि इस मसले पर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के गृह विभाग सचिवों की 21 जुलाई, 2022 को बैठक बुलाई थी। मामला अब अंतरराज्यीय एडवाइजरी कमेटी के स्तर पर है, जिसे यह निर्णय लेना है कि आनलाइन गैंबलिंग के संबंध में क्या कदम उठाए जाएं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार के बयान का केंद्र सरकार ने खंडन किया है। लिहाजा, राज्य सरकार इस संबंध में एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत करे।
देश के युवाओं को बुरी तरह प्रभावित कर रही यह बुराई
सबसे खास बात यह रही कि सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की। जिसमें कहा गया कि देश के युवाओं के आर्थिक, मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य को वृहद स्तर पर प्रभावित करने वाले इस मसले में अधिक समय तक इंतजार नहीं किया जा सकता। नई पीढ़ी को गुमराह करने की इस एक बड़ी वजह पर ठोस अंकुश की दिशा में सरकारों को बेहद संजीदा रवैया अपनाना चाहिए। अब तक ऐसा न किया जाना चिंताजनक है।