उमरिया,भास्कर हिंदी न्यूज़/ घोघरी जलाशय से रिसाव के बाद रविवार की रात 3 गांव खाली करा लिए गए हैं। तीन गांव में बसे 350 परिवारों को अलग-अलग स्कूलों में भेजकर सुरक्षित किया गया। इस बारे में मिली जानकारी के मुताबिक ग्राम निमहा से 250 परिवारों को, बरखेड़ा और पठारी से 50-50 परिवार के लोगों से गांव खाली करा लिया गया था और उन्हें स्कूल भेज दिया गया था।
घोघरी जलाशय के रिसाव से उसके फूटकर बह जाने का खतरा उत्पन्न हो गया था। यदि जलाशय फूटकर बहता तो उसका पानी इन तीन गांव में भर सकता था। हालांकि, रात भर चले काम के बाद खतरा टल गया है और अब जल संसाधन विभाग बांध की मरम्मत की दिशा में कदम आगे बढ़ा रहा है। साथ ही बांध में बड़ा कट लगाने की तैयारी भी की जा रही है। यह कट तब लगाया जाएगा, जब अगर और बारिश होती है और जलाशय का जलस्तर बढ़ता है।
बारिश थमने से टला खतरा
रविवार-सोमवार की दरमियानी रात बरसात में हुई आंशिक गिरावट से घोघरी जलाशय में आया खतरा फिलहाल टल गया है। विभागीय अमले की निगरानी में जलाशय के पूर्वी क्षेत्र में मशीन की मदद से कट लगाया जा रहा है। जिसके बाद क्षमता से अधिक पानी जलाशय से बाहर कर दिया जाएगा। बताया यह भी जाता है कि बरसात के बाद विभाग उक्त जलाशय का मेन्टेनेन्स भी करेगा।
घर लौटे ग्रामीण
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि नीमहा, पठारी एवम बड़खेड़ा एवम घोघरी जलाशय के डाउन में बह रही नदी के आस-पास रहवासियों को सुरक्षा के लिहाज से रविवार की दरमियानी रात विद्यालय में रखा गया था। सुबह सभी अपने गांव पहुंच गए है। उन्होंने यह भी कहा कि विशेषज्ञों एवम टेक्निकल एक्सपर्ट्स से ज़रूरी सलाह भी ली जा रही है।
लबालब हुआ डेम
लगातार बारिश से घोघरी जलाशय लबालब हो गया था। अत्यधिक भराव होने की वजह से कुछेक जगहों से सीपेज भी हो रहा था। जानकारी पर रविवार की रात से सम्बंधित विभागीय अमला सक्रिय हुआ और विभागीय स्तर पर कारणों पर समीक्षा की गई।
भयभीत हुए ग्रामीण
इस बीच घोघरी जलाशय के इर्द गिर्द ग्राम वासियों में हड़कंप मच गया और दहशत में ग्रामीण गांव से दूर हो गए।
कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने पूरे मामले को गम्भीरता से लिया और ग्रामीणों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया।
कम हुआ जल स्तर
बताया जाता है कि सर्वप्रथम जलाशय के निकासी द्वार का निरीक्षण किया गया और उसे ओपन किया गया। जिसके बाद जलाशय के भराव में आंशिक गिरावट आने लगी। इस बीच ग्राम वासियों को दो अलग अलग विद्यालयों में रुकने की व्यवस्था की गई।
गुणवत्ता पर सवाल
घोघरी जलाशय के निर्माण के बाद से ही गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे थे।सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शिकवा शिकावत भी की। निर्माण के कुछ वर्ष उपरांत भी इस जलाशय में सीपेज होने की बात सामने आई थी।उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में करीब 20 करोड़ लागत से 2.74 मिलियन क्यूबिक मीटर क्षमता वाले घोघरी जलाशय का निर्माण प्रारम्भ किया गया था। करीब 5 वर्ष उपरांत उक्त जलाशय पूर्णतः की स्थिति लिया था।निर्माण के महज तीन सालों में ही सीपेज का मामला कही न कही विभागीय स्तर पर लापरवाही का बड़ा कारण माना जा रहा है।