सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ बरसात के दिनों में आकाशीय बिजली अक्सर जानलेवा साबित होती है। खेतों में काम करने वाले, पेड़ों के नीचे पनाह लेने वाले, तालाब में नहाते समय बिजली चमकने पर इसकी आगोश में आने की संभावना अधिक रहती है। आकाशीय बिजली से बचाव के कुछ उपाय ऐसे हैं जिससे बचा जा सकता है। राज्य सरकार के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा लोगों को सतर्क रहने के लिए दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
आकाशीय बिजली कड़कने पर यदि घर के भीतर हों तो बिजली से संचालित उपकरणों से दूर रहें, तार वाले टेलीफोन का उपयोग नहीं करना चाहिए। खिड़कियां व दरवाजे बंद कर दें, बरामदे और छत से दूर रहें। इसके अलावा ऐसी वस्तुएं जो बिजली के सुचालक हैं उनसे भी दूर रहना चाहिए। धातु से बने पाइप, नल, फव्वारा, वाश बेसिन आदि के संपर्क से दूर रहना चाहिए।
इसी तरह जब आप घर के बाहर हैं तब वृक्ष जो बिजली को आकर्षित करते हैं। बिजली चमकते समय वृक्ष के नीचे न खड़े रहें, ऊंची इमारतों वाले क्षेत्र में आश्रय न लें, समूह में खड़े होने के बजाय अलग-अलग हो जाएं। किसी मकान में आश्रय लेना बेहतर है। सफर के दौरान अपने वाहन में ही रहें। मजबूत छत वाले वाहन में रहें, खुली छत वाले वाहन की सवारी न करें, बाहर रहने पर धातु से बने वस्तुओं का उपयोग न करें। बाइक, बिजली या टेलीफोन का खंभा तार की बाड़ और मशीन आदि से दूर रहें। तालाब और जलाशयों से दूर रहें यदि आप पानी के भीतर हैं, अथवा किसी नाव में हैं तो तुरंत बाहर आ जाएं। सिर के बाल खड़े हो जाएं तो समझिए बिजली गिरेगी। यदि आकाशीय बिजली चमक रही है और आपके सिर के बाल खड़े हो जाएं व त्वचा में झुनझुनी होने लगे तो फौरन नीचे झुककर कान बंद कर लें। क्योंकि यह इस बात का सूचक है कि आपके आस-पास बिजली गिरने वाली है।
आकाशीय बिजली गिरने पर क्या करें
बिजली का झटका लगने पर जरूरत के अनुसार व्यक्ति को सीपीआर, कार्डियो पल्मोनरी रेसिटेंशन यानि कृत्रिम सांस देनी चाहिए। तत्काल प्राथमिक चिकित्सा देने की व्यवस्था करनी चाहिए।
एडॉप्ट एन आँगनवाड़ी’’ से आ रहा बदलाव
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आँगनवाड़ी केन्द्रों के उन्नयन और बच्चों के पोषण में जन-सहयोग की संकल्पना को साकार करने के लिये ‘एडॉप्ट एन आँगनवाड़ी’ नवाचार प्रारंभ किया है। महिला-बाल विकास विभाग द्वारा चलाये जा रहे इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य आँगनवाड़ी केन्द्रों में आने वाले बच्चों को ऐसा परिवेश उपलब्ध कराना है, जिससे उनका समग्र विकास संभव हो। इस पहल में आम नागरिक सहजता से अपना सहयोग दे रहे हैं। सतना जिले में ‘एडॉप्ट एन आँगनवाड़ी’ कार्यक्रम से बड़े बदलाव दिख रहे हैं। सतना जिले में 3034 आँगनवाड़ी केन्द्र स्वीकृत हैं। इसमें से अब तक लगभग 2943 आँगनवाड़ी केन्द्र की जिम्मेदारी जन-समुदाय द्वारा ली गई है।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा प्रदेश में 30 दिसंबर 2021 को ‘एडॉप्ट एन आँगनवाड़ी’ कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। प्रदेश के 84 हजार 465 आँगनवाड़ी केन्द्र और 12 हजार 670 मिनी आँगनवाड़ी केन्द्र का श्रेणीकरण कर आवश्यकताओं का आकलन किया गया है। कोई भी इच्छुक व्यक्ति इस कार्यक्रम में सहयोग के लिये मो.न.- 8989622333 पर मिस्ड कॉल देकर अथवा प्ले-स्टोर से ‘एडॉप्ट एन आँगनवाड़ी’ एप डाउनलोड करा अपना पंजीयन कर सकते हैं।
टीकाकरण अभियान रीवा संभाग में लगाये गये 122233 टीके
प्रदेश के कई जिलों में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को ध्यान में रखते हुए रीवा संभाग के सभी जिलों में शासन के निर्देशों के अनुसार कोरोना के टीके लगाये जा रहे हैं। इसके लिए संभाग के सभी जिलों में 17 अगस्त को टीकाकरण का महाअभियान चलाया गया। महाअभियान में रीवा संभाग में कुल एक लाख 22 हजार 233 व्यक्तियों को कोरोना वैक्सीन के टीके लगाये गये। इनमें रीवा जिले में 47 हजार 130, *सतना में 41 हजार 312*, सीधी जिले में 17 हजार 720 तथा सिंगरौली जिले में 16 हजार 71 व्यक्तियों को टीके लगाये गये। महाअभियान में बूस्टर डोज के टीके प्रमुखता से लगाये गये।
एचएमआईएस और अनमोल के आंकड़ों का मिलान कर डाटा सुधारें- सीईओ
जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक संपन्न
जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ परीक्षित झाड़े ने स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा करते हुए ए.एन.सी रजिस्ट्रेशन और गर्भवती महिलाओं, एनीमिया मैनेजमेंट के एच एम.एम.आई.एस और अनमोल में दर्ज आंकड़ों में अत्यधिक भिन्नता पाए जाने पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने सभी संबंधित बीएमओ को महिला बाल विकास के परियोजनावार आंकड़ों से मिलान कर 10 दिवस के भीतर आंकड़े में एकरूपता लाने और दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं। जिला स्वास्थ समिति की बैठक में सीईओ जिला पंचायत ने महिला बाल विकास के परियोजनाधिकारियों को गर्भवती महिलाओं, एनीमिया मैनेजमेंट, दस्तक अभियान और संपूर्ण टीकाकरण संबंधित जानकारी बैठक में नहीं लाने पर अप्रसन्नता जताई। इस मौके पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ अशोक अवधिया, सिविल सर्जन डॉ केएल सूर्यवंशी, डॉ पीके श्रीवास्तव, डॉ चरण सिंह, डॉ प्रमोद गौतम, जिला कार्यक्रम अधिकारी सौरभ सिंह एवं बीएमओ तथा सीडीपीओ उपस्थित थे।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ परीक्षित झाड़े ने सीएससी मझगवां में एचएमआईएस और अनमोल में 22 प्रतिशत का अंतर एएनसी रजिस्ट्रेशन में पाए जाने पर बीएमओ से कारण जाना। बीएमओ ने बताया कि समग्र डाटा उपलब्ध नहीं होने पर यह अंतर आता है। सीईओ ने कहा कि अपने जनपद के सीईओ से बीएमओ संपर्क कर समग्र का डाटा प्राप्त करें और एक हफ्ते में आंकड़ों में अंतर का सुधार करें। उन्होंने कहा कि हर माह बीएमओ और सीडीपीओ एक साथ बैठकर दोनों विभागों से आंकड़ों का मिलान करें। इसी प्रकार गर्भवती महिलाओं के पंजीयन में लक्ष्य से विरुद्ध 50 प्रतिशत से कम रजिस्ट्रेशन करने वाले विकासखंड की एएनएम का वेतन रोकने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि 70 प्रतिशत रजिस्ट्रेशन हो जाने पर वेतन रिलीज करें। मैहर में कुल गर्भवती 1555 महिलाओं में से 518 गर्भवती महिलाओं को हाई रिस्क प्रेगनेंसी बताये जाने पर सीईओ ने डाटा सुधार के निर्देश दिए।
संपूर्ण टीकाकरण अभियान की समीक्षा करते हुए सीईओ ने कहा कि जिन एएनएम के क्षेत्र में अत्यंत कम टीकाकरण हुआ है, उन पर कार्यवाही प्रस्तावित करें। पोषण पुनर्वास केंद्र की समीक्षा में रामनगर, सतना जिला अस्पताल, मझगवां, मैहर, कोठी का प्रतिशत क्रमशः 63 से 91 तक पाए जाने पर महिला बाल विकास के अधिकारियों को शत-प्रतिशत बेड पूर्ति करने के निर्देश दिए। बैठक में जननी सुरक्षा, प्रसूति सहायता योजना एवं अन्य हितग्राही भुगतान संबंधित सीएम हेल्पलाइन के प्रकरण तत्परता से निराकृत करने के निर्देश दिए गए। एसएनसीयू की समीक्षा में बताया गया कि जिला चिकित्सालय सतना में डिस्चार्ज का प्रतिशत 80 है। जबकि आदर्श स्थिति 85 प्रतिशत होनी चाहिए। एसएनसीयू में नवजात शिशु मृत्यु दर 14 प्रतिशत से घटकर अब 10-11 प्रतिशत हो गई है।