Sawan Third Somwar 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ यूं तो सावन महीने के सभी दिन खास होते हैं और इस पूरे महीने में हर दिन भगवान शिव (Lord Shiv) की पूजा की जाती है, लेकिन सोमवार को शिव पूजन का अलग ही महत्व है। 1 अगस्त को सावन महीने का तीसरा सोमवार है। यह कई और मायने में भी खास है। अगर आप किसी वजह से पहले या दूसरे सोमवार को शिवजी का पूजन नहीं कर पाये हैं, तो तीसरे सोमवार को आपके लिए खास मौका है। दरअसल, इस दिन तीन विशेष योग बन रहे हैं, इस वजह से इस दिन पूजन से विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है।
बन रहे हैं कई योग
सावन के तीसरे सोमवार पर बेहद खास योग निर्मित हो रहे हैं। महादेव के महीने में सोमवार के दिन ही शिव योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन शिव की पूजा करने से भगवान शिव विशेष कृपा करते हैं। इसके अलावा इसी दिन रवि योग और विनायक चतुर्थी भी पड़ रहे हैं। यानी इस दिन पूजा-अर्चना करने से सूर्य और गणपति के पूजन का फल भी मिलेगा। ऐसे शुभ संयोग वर्षों में कभी-कभार ही आता है।
शुभ मुहूर्त
रवि योग – सुबह 5:30 से 6:53 तक
अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11:37 से 12:29 बजे तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 12:14 से 3:07 बजे तक
अमृत काल – शाम 6:55 से 8:30 बजे तक
इनसे करें भगवान शिव का अभिषेक
शुद्ध जल – सावन में शुद्ध जल से भगवान शिव का अभिषेक करने से पुण्य की प्राप्ति होती है।
गन्ने का रस – गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक करने से निर्धनता दूर होती है।
दूध – दूध से भगवान शिव का अभिषेक करने से संतान संबंधी मनोकामना पूर्ण होती है।
दही – भगवान शिव का दही से अभिषेक करने पर जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं।
गाय का घी – गाय के घी से शिवजी का अभिषेक करने से सेहत संबंधी परेशानियां दूर होती हैं।
गंगाजल – गंगाजल से शिवजी का अभिषेक करने पर घर में सुख-शांति आती है।
कैसे करें सोमवार की पूजा
- सावन के तीसरे सोमवार के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान करें। साथ ही सूर्य देव को भी जल अर्पित करें, क्योंकि इस दिन रवि योग का निर्माण हो रहा है।
- सुबह साफ कपड़े पहनकर शिव मंदिर में हाथ में चावल और फूल लेकर व्रत का संकल्प लें।
- इसके बाद शिवलिंग का गंगाजल, घी, गन्ने का रस या गाय के कच्चे दूध से अभिषेक करें।
- भगवान शिव को चंदन, अक्षत, फूल, बेलपत्र, शमी के पत्ते, धतूरा, भांग आदि सामग्री अर्पित करें।
- शिवलिंग की पूजा के बाद माता पार्वती पर भी फूल चढ़ाएं और घी के दीपक जलाएं।
- इस दिन शिव चालीसा का पाठ या शिव मंत्रों का जाप करें। इसके बाद शिवजी की आरती उतारें और फिर प्रदोष काल में पूजा अर्चना करें।