Fitness 4 new dangerous diseases caused by sex: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ बेहतर स्वास्थ्य के लिए संभोग का सुरक्षित रूप से किया जाना आवश्यक माना जाता है। इसको लेकर बरती गई किसी भी तरह की असावधानी यौन संचारित रोग (एसटीडी) या यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) का कारण बन सकती है। कुछ मामलों में एसटीडी के कारण दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं का भी जोखिम हो सकता है। इतना ही नहीं अगर समय रहते इनपर ध्यान न दिया जाए तो इसके कारण बांझपन (गर्भवती होने में सक्षम नहीं होना), स्थाई मस्तिष्क क्षति, हृदय रोग, कैंसर का भी खतरा हो सकता है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए सभी लोगों को निरंतर बचाव के तरीकों को प्रयोग में लाते रहने की सलाह दी जाती है।
यौन संचारित रोग कई कारणों से हो सकते हैं, इसके खतरे को लेकर सभी लोगों को सावधानी बरतनी चाहिए। आमतौर पर सिफलिस और गोनोरिया को ही प्रमुख रूप से होने वाले एसटीडी के तौर पर जाना जाता है, हालांकि इसके अलावा भी आपमें कई तरह की बीमारियों का जोखिम हो सकता है। आइए जानते हैं कि संभोग के दौरान बरती गई असावधानियों के कारण किन स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम हो सकता है?
नाइसेरिया मेनिन्जाइटिस
नाइसेरिया मेनिन्जाइटिस को मेनिन्गोकस के नाम से भी जानते हैं। ये बैक्टीरिया दिमाग और रीढ़ की हड्डियों को संक्रमित कर सकता है। लेकिन इससे कई ज्यादा ये यूरोजेनिटल संक्रमण के लिए जाना जाता है। 70 के दशक का अध्ययन बताता है कि कैसे एक चिम्पैंजी के नाक और गले से होता हुआ ये बैक्टीरिया उसके जननांग तक जा पहुंचा और उसे यूथरल संक्रमण हुआ।
लगभग 5 से 10 फीसदी नौजवानों में नाइसेरिया मेनिंजाइटिस बैक्टीरिया गले या नाक के माध्यम से पहुंचते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक ये संक्रमण एक शख्स से उनके पार्टनर में ओरल सेक्स और अन्य तरह के संपर्क से पहुंच सकता है। कुल पांच तरह के एन. मेनिन्जाइटिस दुनिया भर में होने वाले यौन संक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि इस बैक्टीरिया के लिए दो वैक्सीन उपलब्ध हैं जिनकी मदद से इस बैक्टीरिया के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
माइकोप्लाजमा जेनिटेलियम
माइकोप्लाजमा जेनिटेलियम दुनिया के सबसे सूक्ष्म बैक्टीरिया में से एक है, लेकिन इससे होने वाले सेक्शुअल ट्रांसमिटेड संक्रमण दुनिया में बड़ी परेशानी का कारण बनता जा रहा है। इसे 1980 के दशक में पहचाना गया, इस बैक्टीरिया ने इस वक्त लगभग 1 फीसदी से 2 फीसदी लोगों को संक्रमित किया है।
खास कर ये युवा और वयस्कों में ज्यादा तेजी से फैलता है। ये बैक्टीरिया महिलाओं की प्रजनन प्रणाली में पैल्विक सूजन का कारण बनता है। जिससे बांझपन, गर्भपात, समय से पहले प्रसव और यहां तक कि भ्रूण की मृत्यु तक हो सकती है। कॉन्डोम का इस्तेमाल इस संक्रमण को पार्टनर तक पहुंचने से रोक सकता है। शोधकर्ताओं ने एम. जेनिटेलियम को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं खासकर एजिथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन का इस्तेमाल न करने की सलाह दी है।
शिगेला फ्लेक्जेनरी
इसे शिग्लोसिस के नाम से भी जानते हैं। ये इंसानी मल के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष संपर्क में आने से फैलता है। इस संक्रमण के बाद पेट में तेज दर्द, डायरिया जैसी शिकायत होती है और इस तरह ये बैक्टीरिया अपना संक्रमण आगे तक फैलाता है। वैज्ञानिकों का मानना है कि एस. फ्लेक्जेनरी मूल रूप से ओरल सेक्स और एनल सेक्स के जरिए फैलता है। दुनिया भर में इसके संक्रमण के मामले तेजी से सामने आ रहे हैं।
लिंफोंग्रानुलोमा वेनेरेउम (एलजीवी)
क्लैमाइडिया ट्रेकोमैटिस के असामान्य तनाव के कारण होने वाला यह एसटीआई (सेक्शुअल ट्रांसमिटेड इंफ़ेक्शन), ‘भयानक संक्रमण’ का कारण बन सकता है। एलजीवी के संक्रमण के कारण अस्थायी पिंपल, जननांग में अल्सर की परेशानी हो सकती है और फिर इसका बैक्टीरिया शरीर के लसिका तंत्र पर आक्रमण कर देता है। रेक्टल संक्रमण आंत से जुड़ी बीमारियां दे सकता है। मलाशय की गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। पिछले एक दशक से एलजीवी यूरोप और उत्तरी अमेरिका में तेजी से बढ़ता जा रहा है। खास तौर पर ये बीमारी बाईसेक्शुअल और गे लोगों में आम होती जा रही है।