Maa kali pm modi says mother kali infinite grace on india reference being linked to the poster controversy and tmc mp mahua moitra comments: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ पहले मां काली के पोस्टर पर विवाद और फिर तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा की बयानबाजी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने एक संबोधन में मां काली का जिक्र किया। पीएम मोदी ने बिना किसी का नाम लिए कहा, ‘भारत पर मां काली का असीम आशीर्वाद है। आध्यात्मिक ऊर्जा को लेकर भारत आगे बढ़ रहा है। विश्व कल्याण की भावना से भारत आगे बढ़ रहा है। आस्था पवित्र होती है। शक्ति हमारी पथ प्रदर्शक होती है।’
पीएम ने आगे कहा, स्वामी रामकृष्ण परमहंस, एक ऐसे संत थे जिन्होंने मां काली का स्पष्ट साक्षात्कार किया था, जिन्होंने माँ काली के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित कर दिया था। वो कहते थे- ये सम्पूर्ण जगत, ये चर-अचर, सब कुछ माँ की चेतना से व्याप्त है। यही चेतना बंगाल की काली पूजा में दिखती है।
पीएम मोदी की इन बातों को लीना मणिमेकलाई के मां काली पर बनाए गए विवादित पोस्टर के साथ ही महुआ मोइत्रा की बातों के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
पीएम ने कहा, आज का ये आयोजन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से भी कई भावनाओं और स्मृतियों से भरा हुआ है। स्वामी आत्मस्थानंद जी ने शतायु जीवन के काफी करीब ही अपना शरीर त्यागा था। मुझे सदैव उनका आशीर्वाद मिला है। ये मेरा सौभाग्य है कि आखरी पल तक मेरा उन से संपर्क रहा।
आखरी पल तक स्वामी जी का मुझ पर आशीर्वाद बना रहा और मैं ये अनुभव करता रहा कि स्वामी जी महाराज चेतन स्वरूप में आज भी हमें आशीर्वाद दे रहे हैं। मुझे खुशी है उनके जीनव और मिशन को जन-जन तक पहुंचाने के लिए आज दो स्मृति संस्करण, चित्र जीवनी और डॉक्युमेंट्री भी रिलीज हो रही है।
सन्यासी के लिए जीव सेवा में प्रभु सेवा को देखना, जीव में शिव को देखना, यही सर्वोपरि है। इस महान संत परंपरा को, सन्यस्थ परंपरा को स्वामी विवेकानंद जी ने आधुनिक रूप में ढाला।
स्वामी जी ने भी सन्यास के इस स्वरूप को जीवन में जिया, और चरितार्थ किया।सैकड़ों साल पहले आदि शंकराचार्य हों या आधुनिक काल में स्वामी विवेकानंद, हमारी संत परंपरा हमेशा ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ का उद्घोष करती रही है।
रामकृष्ण मिशन की तो स्थापना ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के विचार से जुड़ी हुई है। आप देश के किसी भी हिस्से में जाइए, आपको ऐसा शायद ही कोई क्षेत्र मिलेगा जहां विवेकानंद जी गए न हों, या उनका प्रभाव न हो। उनकी यात्राओं ने गुलामी के उस दौर में देश को उसकी पुरातन राष्ट्रीय चेतना का अहसास करवाया, उसमें नया आत्मविश्वास फूंका।
हमारे संतों ने हमें दिखाया है कि जब हमारे विचारों में व्यापकता होती है, तो अपने प्रयासों में हम कभी अकेले नहीं पड़ते। आप भारत वर्ष की धरती पर ऐसे कितने ही संतों की जीवन यात्रा देखेंगे, जिन्होंने शून्य संसाधनों के साथ शिखर जैसे संकल्पों को पूरा किया।
संकल्प की शक्ति को हम स्वच्छ भारत मिशन में भी देखते हैं। लोगों को विश्वास नहीं था कि भारत में इस तरह का मिशन सफल हो सकता है, लेकिन भारतवासियों ने संकल्प लिया और परिणाम आज दुनिया देख रही है। आज भारत डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में भी वर्ल्ड लीडर के तौर पर उभरा है।