Maharashtra Politics: digi desk/BHN/ मुंबई/ महाराष्ट्र में बीजेपी ने बड़ा दांव खेलते हुए शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री की कमान सौंप दी है। राजनीति की लिहाज से ये बड़ा कदम माना जा सकता है। खास बात ये है कि देवेन्द्र फडणवीस की प्रेस कॉन्फ्रेंस से पहले किसी को इस बात की भनक तक नहीं थी कि 105 विधायकों वाली पार्टी बीजेपी, करीब 50 विधायकों वाले बागी गुट को सीएम की कुर्सी सौंप देगी। लेकिन जब ये फैसला हुआ, तो शरद पवार जैसे राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैरान रह गये। किसी ने भी उम्मीद नहीं की थी कि बीजेपी ऐसा फैसला ले सकती है। देवेन्द्र फडणवीस तो सरकार से बाहर रहने का भी फैसला कर चुके थे। बाद में बीजेपी आलाकमान के कहने पर उपमुख्यमंत्री पद संभालने को तैयार हो गये।
क्या है बीजेपी का प्लान
राजनीति के जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने महाराष्ट्र में अपने मुख्य प्रतिद्वंद्वी शिवसेना को सियासी तौर पर खत्म करने का प्लान बनाया है। दरअसल बीजेपी ने शिवसेना से अलग हुए गुट के नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद देकर एक तीर से कई निशाने साधे हैं।
1. सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि एकनाथ शिंदे के मुख्यमंत्री रहने तक शिवसेना के करीब 40 विधायक उसके साथ होंगे। शासन के साथ इनकी बाला साहब ठाकरे के नाम से साथ राजनीति चलती रहेगी और उद्धव ठाकरे की शिवसेना कमजोर होती रहेगी। सत्ता मिलने पर इनका काम-काज अच्छा रहा, तो हो सकता है शिवसैनिक इन्हें ही बाला साहेब का असली वारिस मानने लगें। ऐसे में उद्धव ठाकरे राजनीतिक रुप से अलग-थलग पड़ जाएंगे।
2. बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को सत्ता देकर ये संदेश दिया है कि वो शिवसेना के खिलाफ नहीं है, बल्कि उद्धव ठाकरे के खिलाफ है, जो ना तो हिन्दूत्व के साथ हैं और ना ही शिवसैनिकों के साथ। इस फैसले ने उद्धव ठाकरे की नेतृत्व झमता पर बड़े सवालखड़े कर दिये हैं। बतौर नेता और शिवसैनिकों का उद्धव ठाकरे के प्रति मोहभंग होगा, तो शिवसेना को वजूद को बचाना मुश्किल हो जाएगा।
3. तीसरा फायदा तात्कालिक है। इस साल नवंबर में होने वाले बीएमसी के चुनाव में उद्धव ठाकरे इमोशनल कार्ड खेल सकते थे, और बीजेपी पर सत्ता हथियाने का आरोप लगा सकते थे। लेकिन अब उनके खिलाफ उन्हीं से विधायक खड़े होंगे। ऐसे में बीएमसी चुनावों में शिवसेना की पकड़ खत्म हो सकती है और बीजेपी अपनी पोजिशन मजबूत कर सकती है।
4. सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि अगले चुनावों से पहले उद्धव ठाकरे परिवार से शिवसेना का नाम और चुनाव चिह्न छिन सकता है। अब बहुमत के आधार पर या तो शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह मिल जाएगा या फिर विवाद की स्थिति में दोनों को अपने नाम और चुनाव चिन्ह बदलने पड़ेंगे। इसका सियासी फायदा सीधे तौर पर बीजेपी को मिलेगा।
5. मौजूदा स्थिति में ठाकरे गुट को किसी भी चुनाव में अपना सियासी वजूद बचाने के लिए कांग्रेस, एनसीपी या ऐसे दलों से गठबंधन करना पड़ेगा। इससे एक बार फिर उन पर हिन्दुत्व से मुद्दे से समझौते का आरोप लगेगा और शिवसैनिकों का बड़ा वर्ग उनसे दूर चला जाएगा। दूसरी तरफ बीजेपी को महाराष्ट्र में एक मात्र हिंदुत्व की रक्षक पार्टी कहलाने का मौका मिल जाएगा।
प्रेस कॉन्फ्रेस में क्या बोले एकनाथ शिंदे
हम उद्धव जी से लगातार शिवसेना को और हिंदुत्व को हो रहे नुकसान के बारे में बताते रहे लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. हम लोग बाला साहेब के हिंदुत्व को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. उद्धव ठाकरे के सामने अब खुद को सियासी रूप से ज़िंदा रखने के लिए या तो फिर से एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ेगा और अगर ऐसा किया तो फिर उद्धव ठाकरे परिवार को हिंदुत्व की लाइन से भटकने के आरोप झेलने पड़ेंगे और अगर इन दलों का साथ नहीं लिया तो उद्धव परिवार के राजनीतिक वजूद खतरे में पड़ सकता है।
लोकसभा चुनावों से पहले क्या ये है बीजेपी का मास्टरस्ट्रोक
लोकसभा चुनावों (loksabha Election) के मद्देनजर बीजेपी (BJP) के रणनीतिकार इसे मास्टर स्ट्रोक के तौर पर देख रहे हैं. एक तीर से महाविकास अघाड़ी (MVA) की सरकार गिरा दी. उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) परिवार से बाला साहेब की विरासत छीन कर शिंदे के हाथ सौंप दी और शिवसेना (Shiv Sena) का वजूद भी खतरे में डाल दिया है।
शिंदे कैबिनेट की पहली बैठक, 2-3 जुलाई को बुलाया विधानसभा का विशेष सत्र
शपथ ग्रहण के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई में राज्य की नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक की। बैठक में तय किया गया कि 2-3 जुलाई को विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। इसमें विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा। इससे पहले शिवसेना के बागी गुट के नेता एकनाथ शिंदे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और पूर्व मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने उप-मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
शपथ लेने से कुछ ही घंटों पहले देवेन्द्र फडणवीस ने कहा था कि वो सरकार में शामिल नहीं होंगे, लेकिन सरकार को पूरा सहयोग देंगे। उसके बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान जारी कर कहा कि भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने तय किया है कि देवेंद्र फडणवीस को सरकार में आना चाहिए इसलिए उनसे व्यक्तिगत अनुरोध किया गया है। केंद्रीय नेतृत्व ने कहा है कि देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में कार्यभार संभालें।