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Ranji Trophy Final: MP की टीम पहली बार बनी रणजी चैंपियन, फाइनल में मुंबई को दी मात

Ranji Trophy Final 2022 Day 5: digi desk/BHN/मुंबई/ मध्य प्रदेश की क्रिकेट टीम ने इतिहास रच दिया है। टीम रणजी ट्राफी के इतिहास में पहली बार खिताब जीतने में कायमाब रही है। बेंगलुरू के चिन्ना स्वामी स्टेडियम में खेले गए फाइनल में मध्य प्रदेश की रणजी टीम ने 41 बार की चैंपियन मुंबई को 6 विकेट से मात दी। रविवार को Ranji Trophy Final 2022 का पांचवां दिन रहा। मुंबई की टीम ने पहली पारी में 374 रन का स्कोर खड़ा किया था, जवाब में मध्य प्रदेश की टीम ने तीन शतकीय पारियों की बदौलत 536 रन बनाए और 162 रनों की बढ़त हासिल कर ली। जवाब में मुंबई ने चौथे दिन का खेल खत्म होने तक 2 विकेट खोकर 113 रन बना लिए थे। रविवार को मुंबई की दूसरी पारी 269 रन पर सिमट गई। इस तरह मध्य प्रदेश को मैच जीतने के लिए 108 रन की जरूरत थी, जिसे 4 विकेट खोकर आसानी से हासिल कर लिया।

23 साल बाद फाइनल में पहुंची मप्र टीम

मप्र टीम 23 साल बाद रणजी ट्राफी के फाइनल में पहुंची थी। पिछली बार भी टीम ने फाइनल इसी मैदान पर खेला था, लेकिन तब कर्नाटक से हार मिली थी। तब टीम के कप्तान चंद्रकांत पंडित थे, जो इस बार टीम के कोच हैं। तब टीम की हार के बाद पंडित की आंखों से आंसू बह पड़े थे। तब की कमियों को दूर करते हुए पंडित ने ऐसी रणनीति बनाई कि देश की सबसे सफल मुंबई टीम उलझती चली गई।

मध्य प्रदेश की रणजी टीम में इंदौर का बड़ा योगदान

इंदौर के शुभम शर्मा ने 116 रनों की शतकीय पारी खेलकर मध्यक्रम को मजबूती दी। इंदौर स्पोर्ट्स क्लब के उपाध्यक्ष राजूसिंह चौहान बताते हैं, शुभम बहुत कम उम्र में क्लब में आया था। वह बहुत अमीर परिवार से ताल्लुक नहीं रखता। छोटे से करियर में शुभम ने कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन मनोबल बनाए रखा। वह मेहनती है और लगातार खेल में सुधार करने के लिए प्रयास करता रहता है। मप्र की हर आयु वर्ग की टीम में शुभम का प्रदर्शन शानदार रहा है।

इंदौर के विजय क्लब में जब रजत पाटीदार क्रिकेट का ककहरा सीखने आए थे तो उम्र बहुत कम थी। यहां कोच राम अत्रे ने उन्हें प्रारंभिक प्रशिक्षण दिया। इसके बाद पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर अमय खुरासिया ने रजत की तकनीक सुधारने के लिए मेहनत की। रजत ने आइपीएल में इस साल रायल चैलेंजर्स बेंगलुरु के लिए जोरदार प्रदर्शन किया था। मप्र के लिए भी फाइनल में 122 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली।

इंदौर के आलराउंडर सारांश जैन ने फाइनल में 97 गेंदों पर 57 रनों की ताबड़तोड़ पारी खेली। उन्होंने निचलेक्रम के बल्लेबाजों को साथ लेकर सुनिश्चित किया कि मप्र का स्कोर बहुत बड़ा बने।

पंडित ने भी किया कमाल

क्रिकेट में बहुत कम ऐसा होता है जब टीम से ज्यादा सितारा हैसियत कोच की हो, मगर घरेलू क्रिकेट में यह रुतबा चंद्रकांत पंडित को हासिल है। उनके मार्गदर्शन में मप्र पहली बार रणजी ट्राफी का खिताब जीतने के करीब है। इसके पहले उन्होंने बतौर कोच मुंबई और विदर्भ को दो-दो बार चैंपियन बनाया है।

 

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