Presidential Election 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ झारखंड की पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगी। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह ऐलान किया है। उड़ीसी की रहनेवाली द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल रह चुकी हैं, जो झारखंड की पहली महिला राज्यपाल रही। पिछले बार भी इनका नाम राष्ट्रपति के लिए चला था। अंत में रामनाथ गोविंद का फ़ाइनल हुआ। बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उनके नाम का ऐलान किया।
इसी सिलसिले में देर शाम बीजेपी पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक हुई। इस बैठक में पीएम मोदी, बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी और शिवराज सिंह चौहान समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। बीजेपी की इस हाई लेवल मीटिंग में राष्ट्रपति पद के लिए कई उम्मीदवारों के नाम पर मंथन किया गया। आखिरकार आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को इस पद का उम्मीदवार चुना गया। प्रधानमंत्री मोदी ने द्रौपदी मुर्मू को इस पद की उम्मीदवारी के लिए बधाई दी है।
बैठक से पहले केंद्रीय मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह ने पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से भी मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि वेंकैया नायडू को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया जा सकता है। लेकिन बाद में बीजेपी ने तमाम कयासों को दरकिनार करते हुए द्रौपदी मुर्मू के नाम पर मुहर लगा दी।
कौन हैं राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू?
राष्ट्रपति चुनाव के लिए भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है। दिल्ली में पार्टी के मुख्यालय में हुई संसदीय बोर्ड की बैठक में यह फैसला लिया गया। बता दें 20 जून 2022 को द्रौपदी मुर्मू ने अपना 64वां जन्मदिन मनाया। ऐसे में पार्टी ने बर्थडे के दूसरे दिन उन्हें तोहफा दिया है। देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल मुर्मू, झारखंड की पहली महिला गवर्नर भी रह चुकी हैं। उन्होंने 18 मई 2015 को पद संभाला था। दो बार विधायक रह चुकी द्रौपदी ने अपने करियर की शुरुआत टीचर के रूप में की। उन्होंने ओडिशा के सिंचाई विभाग में भी काम किया है। उन्हें बेस्ट विधायक के अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में मयूरभंज जिले के कुसुमी ब्लॉक के उपरबेड़ा गांव के एक संथाल आदिवासी परिवार से आती हैं। इनका जन्म 20 जून 1958 को ओडिशा में हुआ था। वह दिवंगत बिरंची नारायण टुडू की बेटी हैं। मुर्मू की शादी श्याम चरम मुर्मू से हुई थी। उन्होंने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और तब से उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। द्रौपदी मुर्मू 1997 में ओडिशा के राजरंगपुर जिले में पार्षद चुनी गईं। 1997 में ही मुर्मू बीजेपी की ओडिशा ईकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष भी बनी थीं। मुर्मू राजनीति में आने से पहले श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं।
द्रौपदी मुर्मू ने 2002 से 2009 तक और फिर 2013 में मयूरभंज के भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार की बीजेपी विधायक रह चुकी हैं और वह नवीन पटनायक सरकार में कैबिनेट मंत्री भी थीं। उस समय बीजू जनता दल और बीजेपी के गठबंधन की सरकार ओडिशा में चल रही थी। ओडिशा विधान सभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से उन्हें सम्मानित किया। द्रौपदी मुर्मू ने ओडिशा में भाजपा की मयूरभंज जिला इकाई का नेतृत्व किया था और ओडिशा विधानसभा में रायरंगपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था।
द्रौपदी मुर्मू ने जीवन में आई हर बाधा का मुकाबला किया। पति और दो बेटों को खोने के बाद भी उनका संकल्प और मजबूत हुआ है। द्रौपदी मुर्मू को आदिवासी समुदाय के उत्थान के लिए काम करने का 20 वर्षों का अनुभव है और वे भाजपा के लिए बड़ा आदिवासी चेहरा हैं।