Sawan Kanwar Yatra 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ भगवान शिवजी का प्रिय माह सावन 14 जुलाई से शुरू होगा। यह महीने भोलेनाथ को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस माह महादेव अपने भक्तों से जल्द प्रसन्न होते हैं। मान्यता है कि अगर कोई जातक सावन महीने में पूरी श्रद्धा के साथ व्रत रखता है, तो उसे भगवान शंकर का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हर साल श्रद्धालु महेश्वर को खुश करने के लिए कांवड़ यात्रा निकालते हैं। आइए जानते हैं क्या होती है कांवड़ यात्रा और इसका इतिहास।
क्या है कांवड़ यात्रा?
सावन के इस पवित्र महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं। जिसमें लाखों भक्त शम्भू को खुश करने के लिए हरिद्वार और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरी कांवड़ को अपन कंधों पर रखकर पैदल लाते हैं। फिर गंगा जल भगवान शिवजी को चढ़ाया जाता है। इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहते है। पहले लोग पैदल ही कांवड़ यात्रा करते थे। हालांकि बदलते वक्त के साथ भक्त बाइक, कार या अन्य साधनों का इस्तेमाल करने लगे हैं।
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन चल रहा था। उस मंथन से 14 रत्न निकले थे। उनमें एक हलाहल विष भी था। जिससे संसार के नष्ट होने का डर था। उस समय सृष्टि की रक्षा के लिए शिवजी ने उस विष को पी लिया लेकिन अपने गले से नीचे नहीं उतारा। जहर के प्रभाव से भोलेनाथ का गला नीला पड़ गया। इस वजह से उनका नाम नीलकंड पड़ा। कहा जाता है कि रावण कांवर में गंगाजल लेकर आया था। उसी जल से उसने शिवलिंग का अभिषेक किया। तब जाकर शिवजी को विष से राहत मिली।