MP Panchayat Election 2022: digi desk/BHN/भोपाल/ प्रदेश में सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद त्रिस्तरीय पंचायत के चुनाव ढाई साल बाद अब होने जा रहे हैं। ये सियायत और कोर्ट-कचहरी के चक्कर में उलझे हुए थे। कमल नाथ सरकार ने 2019 में पंचायतों का परिसीमन कराया था, पर चुनाव कराने से पहले ही सरकार चली गई।
शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश-2021 के माध्यम से परिसीमन को रद कर दिया और 2014 के परिसीमन और आरक्षण से चुनाव कराने का निर्णय लिया। राज्य निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2021 में चुनाव कार्यक्रम भी घोषित कर दिया, पर मामला सुप्रीम कोर्ट चला गया और ओबीसी आरक्षण पर रोक लग गई। हालांकि, सरकार ने ओबीसी के आंकड़े जुटाकर सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत की और ओबीसी आरक्षण बहाल हो गया।
प्रदेश में पंचायतों का कार्यकाल मार्च 2020 में पूरा हो चुका है। अभी पूर्व सरपंचों से ही कार्य संचालन कराया जा रहा है। चुनाव कराने के लिए प्रक्रिया की शुरुआत कमल नाथ सरकार में शुरू हुई थी। त्रिस्तरीय पंचायत के परिसीमन में 1200 पंचायतें बढ़ी थीं, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद शिवराज सरकार ने इसकी जगह पुराने परिसीमन से ही चुनाव कराने का निर्णय लिया। आरक्षण भी 2014 वाला रखा। इसके लिए अध्यादेश लाया गया।
राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम घोषित कर दिया। नामांकन भी जमा हो गए। कांग्रेस पक्ष के व्यक्तियों ने चक्रानुक्रम से चुनाव नहीं कराने को हाईकोर्ट में चुनौती दी, पर राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। यहां सुनवाई के दौरान ओबीसी आरक्षण का मुद्दा उठा और बिना आंकड़े जुटाए पिछड़ा वर्ग के लिए सीटें आरक्षित किए जाने पर नाराजगी जताते हुए इन्हें अनारक्षित में अधिसूचित करके चुनाव कराने के आदेश दिए गए।
सरकार बिना ओबीसी आरक्षण चुनाव नहीं कराना चाहती थी, इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान विधानसभा में संकल्प जताया और सर्वसम्मति से इसे पारित करके कहा गया कि प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव नहीं कराए जाएंगे।
उधर, ओबीसी के आंकड़े जुटाने के लिए राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन किया गया। 50 हजार कर्मचारी लगाकर मतदाता सूची से जानकारी एकत्र की गई और शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक अध्ययन करके प्रथम प्रतिवेदन तैयार किया। निकायवार ओबीसी के आंकड़े सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे गए और ओबीसी आरक्षण बहाल हो गया।
50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा में रहते हुए ओबीसी को जनसंख्या के अनुपात में अधिकतम 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रविधान लागू किया, जिसके आधार पर पंचायत और नगरीय निकायों में आरक्षण की प्रक्रिया की गई। इसके आधार पर ही राज्य निर्वाचन आयोग ने त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की शुक्रवार को घोषणा की।