Yasin Malik Punishment: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के प्रमुख यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। कुछ देर पहले ही यासीन को हवालात से कोर्टरूम लाया गया था। उसे बैठने के लिए चेयर दी गई। यासीन मलिक की सजा पर दोपहर 3.30 बजे फैसला आना था। फिर इसे 4 बजे तक टाल दिया गया। अब फैसला आ गया है।
यासीन मलिक को टेरर फंडिंग के दो मामलों में उम्रकैद की सजा मिली है। मलिक पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी।इस बीच कोर्ट के बाहर लोग तिरंगा लेकर पहुंच गए। श्रीनगर के पास मैसुमा में यासीन मलिक के घर के पास समर्थकों और पुलिस के बीच झड़प की खबर सामने आई है। यहां पत्थरबाजी के बाद हालात काबू करने के लिए सुरक्षाकर्मियों को आंसू गैस के गोले दागने पड़े। मलिक के घर के आसपास सुरक्षाबल के जवान तैनात हैं। ड्रोन से इलाके की निगरानी की जा रही है।
यासीन मलिक को करीब सवा 11 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लाया गया। सुनवाई के शुरू में ही NIA ने फांसी की सजा की मांग की। इसके बाद जज ने दोपहर 3.30 बजे तक के लिए फैसला सुरक्षित कर रख लिया। पिछली सुनवाई में आतंकी फंडिंग के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत सभी आरोपों का दोषी ठहराया गया था। खुद Yasin Malik ने जुर्म कबूल लिया है। यासीन मलिक की सजा से पहले श्रीनगर के कुछ हिस्सों में आंशिक बंद देखा जा रहा है।
पोलिंग एजेंट से लेकर आतंकी ट्रेनिंग तक, जानिए कैसे यासीन मलिक ने भारत के खिलाफ रची साजिश
अलगाववादी नेता यासीन मलिक को पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले में उम्रकैद की सजा सुना दी है। यासीन को एनआईए कोर्ट पहले ही दोषी करार कर चुका था। वकील उमेश शर्मा ने कहा, यासीन को दो उम्रकैद, 10 केस में दस साल की जेल और 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है। सभी सजाएं एक साथ चलेंगी। बता दें आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के अध्यक्ष यासीन के भारत विरोधी कारनामों की लिस्ट बेहद लंबी है। आइए जानते हैं यासीन मलिक के कारनामों की पूरी कहानी।
क्या है पूरा मामला
यह केस आतंकी सरगना हाफिज सईद और हुर्रियत कांफ्रेंस के सदस्यों समेद अलगाववादी नेताओं की कथित साजिश से जुड़ा है। उन्होंने प्रतिबंधित आतंकी संगठन के सक्रिय सदस्यों के साथ भारत विरोधी गतिविधियों के लिए फंडिंग जुटाने की साजिश रची थी। इसके लिए हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल किया था।
जम्मू-कश्मीर को किया बर्बाद
समाचार एजेंसी पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘अलगाववादियों ने जुटाए गए पैसों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर को हिंसा की आग में झोंकने के लिए किया। यह रकम आतंकी गतिविधियों और सुरक्षा बलों पर पथराव के लिए की जाती थी। स्कूलों को जलाने, पब्लिक प्रॉपर्टी को हानि पहुंचाने और देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए इस पैसे का बंदोबस्त किया गया।’
यह आरोप तय किए गए थे
एनएआई ने कोर्ट में कहा, ‘उसकी छानबीन से पता चला कि जेकेएलएफ प्रमुख यासिन मलिक आतंकी गतिविधियों में शामिल था। यासीन पर यूएपीए की धारा 16 (आतंकवादी कृत्य), धारा 17 (टेरर फंडिंग), धारा 18 (आतंकी साजिश) और धारा 20 (आतंकी संगठन का सदस्य होना) के तहत आरोप तय किए गए थे। साथ ही भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए (राजद्रोह) और 120-बी (आपराधिक षडयंत्र) भी शामिल हैं।’
कश्मीरी पंडितों के मौत का गुनहगार
एनआईए एसपीपी ने कोर्ट को बताया कि कश्मीरी पंडितों की हत्या और पलायन के लिए यासीन मलिक जिम्मेदार है। एनआईए कहा कहना था कि अलगाववादी जम्मू-कश्मीर में लोगों को प्रदर्शन और सुरक्षा बलों पर पथराव करने के लिए उकसाते हैं। यह भारत सरकार के प्रति लोगों में असंतोष पैदा करते हैं। अलगाववादियों को पाकिस्तान से फंडिंग हो रही है।
भारत को बदनाम करने की साजिश
यासीन मलिक ने 1983 में उपद्रवियों के साथ मिलकर श्रीनगर के शेरे कश्मीर क्रिकेट स्टेडियम में पिच खोद दी थी। जहां भारत और वेस्टइंडीज का मैच होना था। यासीन ने 1980 में तला पार्टी के नाम से अलगाववादी गुट तैयार किया था। जो 1986 में इस्लामिक स्टूडेंट्स लीग में बदल गई। यासीन हाजी ग्रुप में शामिल होकर आतंकी ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था। इस ग्रुप में उसके साथ हमीश शेख, अश्फाक मजीद वानी और जावेद मीर थे। 1987 में यासीन मलिक और उसके साथियों ने कश्मीर की आजादी के नारे लगाए थे। कश्मीरी हिंदुओं को मारा था। उन्हें कश्मीर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यासीन ने 2013 में हाफिज सईद के साथ मिलकर कश्मीरियों के मानवाधिकारों के हनन का आरोप लगाते हुए धरना दिया था। 1987 में मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट के बैनर तले अलगाववादी संगठनों ने चुनाव लड़ा था। इसमें यूसुफ शाह और मलिक पोलिंग एजेंट थे। यूसुफ अब हिजबुल मुजाहिद्दीन का कमांडर है।