कटनी,भास्कर हिंदी न्यूज़/ कटनी नागरिक आपूर्ति निगम प्रबंधक लोकायुक्त की कार्रवाई में 60 हजार रुपये की रिश्वत लेते पकड़े गए हैं। दोपहर बाद हुई कार्रवाई से नागरिक आपूर्ति निगम कार्यालय में हड़कंप की स्थिति बन गई। कार्रवाई बजरंग राइस मिल के संचालक ईश्वर रोहरा की शिकायत पर हुई। मामले में मिली जानकारी के अनुसार कटनी में नागरिक आपूर्ति निगम का जिला प्रबंधक 60 हजार की रिश्वत लेते गिरफ्तार है। जिला प्रबंधक का नाम संजय सिंह है। यह बिल पास कराने के एवज में रिश्वत मांग रहा था।
लोकायुक्त डीएसपी दिलीप झरवड़े ने बताया कि बिल भुगतान के एवज में नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक संजय सिंह ने 3 परसेंट रिश्वत की मांग की थी। बजरंग राइस मिल के संचालक ईश्वर रोहरा ने मिलिंग के लिए मध्यप्रदेश सिविल सप्लाई कार्पोरेशन से टेंडर लिया है।
इसमें उन्होंने 40 लाख रुपये की धान की मिलिंग की थी। इसका 20 लाख रुपये का पेमेंट उन्हें मिल गया था। जबकि 20 लाख रुपये का पेमेंट बाकी था। इसी पेमेंट को प्राप्त करने के लिए ईश्वर रोहरा ने रुपये की मांग की थी। नान का प्रबंधक संजय सिंह उनसे 20 लाख रुपये का तीन परसेंट यानी 60 हजार रुपये मांग रहा था। मामले में आउट सोर्स कर्मचारी धीरज मिश्रा को भी आरोपी बनाया गया है। लोकायुक्त से मिली जानकारी के अनुसार धीरज मिश्रा को आरोपी इसलिए बनाया गया है कि नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंधक संजय सिंह ने रुपये लेकर यह राशि धीरज मिश्रा के पास रखवा दी थी। लोकायुक्त टीम में डीएसपी दिलीप झरवड़े निरीक्षक स्वपनिल दास सहित अन्य शामिल थे।
शासकीय कार्यालयों में भ्रष्टाचारी को उजागर कर रहे छापे
मामले में कटनी जिले में कितना भ्रष्टाचार है। यह मामले यह छापे उजागर कर रहे हैं। इससे पहले जब जबलपुर लोकायुक्त की टीम ने इससे पहले मार्च में स्लीमनाबाद थाना क्षेत्र के धरवारा गांव में एक सेल्समैन के घर पर आय से अधिक संपत्ति होने के संदेह छापामार कार्रवाई की गई थी। करीब 9 घंटे चली जांच के दौरान सेल्समैन के घर से 1 करोड़ 63 लाख की चल-अचल संपत्ति मिली थी।
लोकायुक्त डीएसपी दिलीप झरवड़े ने बताया कि सेल्समैन शिवशंकर दुबे आदिम जाति सेवा सहकारी समिति धरवारा अंतर्गत सरसवाही समिति में पदस्थ था। मार्च में ही कटनी में जिला शिक्षा विभाग के रिश्वतखोर सहायक ग्रेड-3 बाबू को लोकायुक्त ने रंगे हाथों पकड़ा है, बाबू अजय खरे ने अनुकंपा नियुक्ति करवाने के नाम पर 80 हजार रुपये मांगे थे। इसकी एक किश्त आवेदक 55 हजार के तौर पर देने पहुंचा था।
आवेदक ने अपनी जमीन गिरवी रखकर यह पैसे जुटाए थे। बताया जा रहा है कि स्व. कुशल सिंह की मौत के बाद बेटे सुनील सिंह ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन दिया था लेकिन बाबू अजय खरे इस मामले को रोक कर बैठा था जब सुनील सिंह ने बाबू अजय खरे से बात की तो बाबू ने रिश्वत की डिमांड कर दी। इसी तरह मार्च के ही एक मामले में बरही तहसील में लोकायुक्त की कार्रवाई हुई थी। तहसील न्यायालय में रिश्वत लेते एक बाबू को पकड़ा गया था। बाबू का नाम उमेश निगम था। यह रिश्वत नामांतरण को लेकर ली जा रही थी।