Gyanvapi case, varanasi district court decision today know what the court will decide: digi desk/BHN/वाराणसी/ ज्ञानवापी प्रकरण में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में मंगलवार को भी सुनवाई हुई। जज ने सुनवाई की अगली तारीख 26 मई तय की है। इस दौरान कोर्ट रूम के बाहर हर-हर महादेव के नारे लगे। मंगलवार की सुनवाई से पहले जज ने कोर्ट रूम खाली करवा लिया। दोनों पक्षों से जुड़े केवल 31 लोगों को वहां रहने की अनुमति दी गई। निर्धारित समय से करीब 21 मिनट बाद यानी 2 बजकर 21 मिनट पर सुनवाई शुरू हुई। जज ने अपना फैसला सुनाने से पहले सभी पक्षों को अपनी राय रखने का मौका दिया। सबसे पहले मुस्लिम पक्ष ने अपनी बात रखी। पिछली सुनवाई में मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि उनकी बात पूरी नहीं हुई है। मुस्लिम पक्ष ने एक बार फिर जिला जज के सामने कहा कि वहां कोई शिवलिंग नहीं है, सिर्फ फव्वारा है। इसके साथ ही मुस्लिम पक्ष ने एक बार फिर उस स्थान को वजुखाने के लिए खोलने की मांग रखी। वहीं हिंदू पक्ष भी अपनी मांग पर अड़ा है। हिंदू पक्ष ने मांग की है कि उन्हें कमीशन की रिपोर्ट और फोटोग्राफी-वीडियोग्राफी की रिपोर्ट मुहैया करवाई जाए। चंद मिनट बाद यानी 2.35 बजे सुनवाई पूरी हो गई। कोर्ट रूम के बाद हर हर महादेव के नारे लगे।
मंगलवार की सुनवाई की बड़ी बातें
- – जज ने कोर्ट कमिश्नर द्वारा की गई वीडियोग्राफी की रिपोर्ट दोनों पक्षों को उपलब्ध करवाने का आदेश दिया है। दोनों पक्षों से 7 दिन के अंदर आपत्तियां बुलाई हैं।
- – 26 मई को यह तय होगा कि किस क्रम में याचिकाओं की सुनवाई होगी। कुल मिलाकर 26, 27 और 28 मई को सुनवाई होगी।
- – सबसे पहले मेंटेबिलिटी पर सुनवाई होगी। यानी याचिकाएं आगे सुनवाई योग्य हैं या नहीं, इस पर फैसला होगा।
जिला अदालत में सोमवार को हुई थी 40 मिनट की सुनवाई
सोमवार को अदालत की कार्यवाही तय समय दोपहर दो बजे शुरू हुई। इस दौरान वादी, प्रतिवादी पक्ष के साथ प्रशासन की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता मौजूद रहे। प्रतिवादी पक्ष के वकील अभयनाथ यादव और मुमताज अहमद ने जिला जज के समक्ष गुहार लगाई कि सबसे पहले मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई की जाए। उन्होंने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला भी दिया। इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु जैन और सुधीर त्रिपाठी ने आपत्ति दर्ज करवाई और कहा कि पहले कमीशन रिपोर्ट पर सुनवाई हो। इनकी दलील रही कि तहखाने की दीवार हटा कर शेष स्थानों का सर्वे कराने के लिए दाखिल प्रार्थना पत्र का अभी तक निस्तारण नहीं हुआ है। वादी पक्ष का यह भी कहना था कि सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे की पोषणीयता पर सुनवाई पहले करने का निर्देश नहीं, बल्कि सुझाव दिया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति भी अदालत के समक्ष प्रस्तुत की। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद जिला जज ने सुनवाई की अगली तिथि 24 मई तय की थी।