Gyanvapi Case: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस विवादित मामले की अहम सुनवाई होनी है। उधर गुरुवार को कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने काशी की ज्ञानवापी मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट वाराणसी अदालत में सौंप दी है। सर्वे की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस परिसर में मंदिर की कई निशानियां है और वहां शिवलिंगनुमा चीज मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत से स्पष्ट निर्देश दिया है कि ज्ञानवापी मामले में आगे की सुनवाई तब तक ना करें, जब कि शुक्रवार को वह इस मामले पर सुनवाई नहीं कर लेता है। सुप्रीम कोर्ट में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद सर्वे मामले पर शुक्रवार की दोपहर 3 बजे सुनवाई होगी। वैसे हिन्दू पक्ष की तरफ से इस केस में और समय देने की मांग की गई थी।
पेश हुई रिपोर्ट
गुरुवार को स्पेशल कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने 12 पन्ने का दूसरा सर्वे रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट में पेश कर दिया। यह सर्वे 14 से 16 मई के बीच किया गया था। इससे पहले, पूर्व कमिश्नर अजय मिश्रा ने कोर्ट में 2 पन्ने की सर्वे रिपोर्ट पेश करते हुए हिन्दू देवी-देवताओं की आकृतियां मिलने का दावा किया था। पहला सर्वे 6 और 7 मई को ज्ञानव्यापी मस्जिद में किया गया था। उन्होंने बताया कि, 6-7 मई को जो उन्होंने (पूर्व अधिवक्ता-आयुक्त अजय कुमार मिश्रा) ज्ञानवापी परिसर के बाहर सर्वे किया था, उसकी रिपोर्ट पहले ही फाइल की जा चुकी है और अब 14, 15 और 16 मई को परिसर के अंदर की गई कमीशन की रिपोर्ट फाइल कर दी गई।
रिपोर्ट में क्या है खास
रिपोर्ट में लिखा है कि कुशल ड्राफ्टमैन बी.डी.ए द्वारा नन्दी से कुंड तक नाप की गयी। जिसकी दूरी 83 फीट 3 इंच पाई गई। तब वादी के अधिवक्ता द्वारा बताया गया कि पानी के कुंड के बीचो-बीच गोलाकार कुएं की जगत जैसे जगह के बीच में पत्थर कायम है और उनके द्वारा कमीशन की कार्यवाही हेतु ध्यान आकृष्ट कराया गया कि इसके बीचों-बीच भगवान शिव का शिवलिंग है।
रिपोर्ट के मुताबिक पानी कम किया गया तो काली गोलाकार पत्थरनुमा आकृति जिसकी ऊंचाई लगभग 2.5 फीट रही होगी दिखाई पड़ी। इसके टॉप पर कटा हुआ गोलाकार डिजाईन का अलग सफेद पत्थर दिखाई पड़ा जिसके बीचो-बीच आधी इंच से थोड़ा कम गोल छेद था, जिसमें सीक डालने पर 63 सेमी. गहरा पाया गया। इसकी गोलाकार आकृति की नापी की गयी तो बेस का व्यास लगभग 4 फुट पाया गया। इस दौरान कमीशन कार्यवाही वादी पक्ष के अधिवक्तागण इस गोलाकार काले पत्थर को शिवजी का शिवलिंग कहने लगे तब प्रतिवादी संख्या 4 के अधिवक्ता द्वारा कहा गया कि यह फव्वारा है।