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Hindu Calendar: 14 जून तक रहेगा ज्येष्ठ का महीना, भूलकर भी न करें ये काम

Hindu Calendar: digi desk/BHN/नई दिल्ली/  हिन्दू पंचांग के अनुसार पर 17 मई 2022 से ज्येष्ठ का महीना शुरु हो चुका है। वहीं ज्येष्ठ माह 14 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के साथ समाप्त भी हो जाएगा। ज्येष्ठ माह का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ माह में सूर्यदेव बहुत ही प्रभावशाली स्थिति में आ जाते है। माना गया है कि सूर्य देव की ज्येष्ठता के कारण ही इस महीने का नाम ज्येष्ठ पड़ गया था। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार इस माह में भगवान विष्णु की पूजा का महत्व माना गया है। ऐसा करने से जाने-अंजाने में किए गए सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही दुश्मनों पर भी जीत हासिल होती है। इस महीने में मटके में पानी भरकर किसी को दान करना चाहिए या सार्वजनिक स्थानों पर प्याऊ की व्यवस्था करवानी चाहिए।

ज्येष्ठ माह में करें ये काम

  • धर्म ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ माह में रोज प्रातः भगवान सूर्य को जल चढ़ाकर ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • इस महीने भीषण गर्मी अपना प्रकोप दिखाती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान भी इस गर्मी से परेशान रहते हैं, इसलिए भगवान विष्णु की प्रतिमा पर चंदन का लेप लगाना चाहिए जिससे उनमें ठंडक बनी रहती है।
  • ज्येष्ठ के महीने में दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित ठंडा जल भरकर भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए। अभिषेक करते समय विष्णु सहस्त्रनाम का जाप भी करना चाहिए।
  • ज्येष्ठ के महीने में भूखे लोगों को भोजन करवाएं इससे पुण्य मिलता है। अगर ऐसा संभव न हो सके तो किसी मंदिर के अन्नक्षेत्र में जाकर कच्चा अनाज भी दान कर सकते है।
  • इस महीने में रोज भगवान विष्णु को माखन-मिश्री, दही-मिश्री और ठंडी चीजों का भोग लगाना चाहिए। भोग में तुलसी के पत्ते आवश्यक रुप से डालने चाहिए।
  • ज्येष्ठ माह में बैंगन का सेवन नहीं करना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार इस महीने में बैंगन खाने गैस की समस्या हो सकती है और शरीर की गर्मी और अधिक बढ़ सकती है।
  • धर्म ग्रंथों की माने तो ज्येष्ठ के महीने में एक समय ही भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से शरीर निरोगी बना रहता है।
  • ज्येष्ठ माह में प्रतिदिन सूर्यास्त के बाद तुलसी के पौधे के पास गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाकर और परिक्रमा करनी चाहिए। इसके साथ ही तुलसी नामाष्टक का पाठ भी करना चाहिए।

 

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