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Satna: वर-वधु के अभिभावकों का म.प्र. का मूल निवासी होना अनिवार्य

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के नवीन दिशा-निर्देश लागू

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री कन्या विवाह, निकाह योजना में संशोधित योजना 2022 के अनुसार नवीन दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना नवीन स्वरूप में संपूर्ण मध्यप्रदेश में 22 अप्रैल 2022 से प्रभावशील कर दी गई है। इसके अनुसार मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत पात्र हितग्राही वर-वधू के अभिभावक मध्यप्रदेश के मूल निवासी होने चाहिए। सहायता प्राप्त करने हेतु हितग्राही की आय का बंधन नहीं होगा। लेकिन सामूहिक विवाह कार्यक्रम की निर्धारित तिथियों में ही विवाह संपन्न कराना होगा। कार्यक्रम का आयोजन केवल नगरीय क्षेत्रों में संबंधित नगरीय निकाय और ग्रामीण क्षेत्रों में जनपद पंचायतें ही करेंगी। किसी अन्य संस्था द्वारा कराए जाने वाले सामूहिक विवाह योजना के दायरे में नहीं आएंगे।
मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना में सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल होकर विवाह कराने वाली प्रत्येक पात्र कन्या, विधवा कल्याणी, परित्यक्ता (वधु) को 55 हजार रुपए प्रति कन्या के मान से स्वीकृत किए जाएंगे। जिसमें 11 हजार रुपए की राशि का चेक वधू के अकाउंट पेयी खाते में एवं 38 हजार रुपए की सामग्री वधू को उपहार स्वरुप आयोजनकर्ता निकाय द्वारा प्रदान की जाएगी। योजना की शेष 6 हजार रुपये की राशि सामूहिक विवाह कार्यक्रम के आयोजन कर्ता निकाय या जनपद पंचायत को व्यय हेतु दी जाएगी। योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र में सीईओ जनपद पंचायत और नगर निगम, नगर पालिका, नगर परिषद क्षेत्र में वर्तमान व्यवस्था के अनुसार उप संचालक सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण आहरण-संवितरण अधिकारी (डीडीओ) होंगे।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में पात्रता के मापदंड के अनुसार वर-वधू के अभिभावक को मध्यप्रदेश के मूल निवासी होना जरुरी होगा। वधू द्वारा विवाह के लिए निर्धारित आयु पूर्ण कर ली हो। वर्तमान में कन्या के लिए विवाह करने हेतु न्यूनतम वैधानिक आयु 18 वर्ष तथा पुरूष के लिए न्यूनतम वैधानिक आयु 21 वर्ष निर्धारित है। परित्यक्ता महिला जिसका कानूनी रूप से तलाक हो गया हो, तभी पात्र होगीं।

अन्य मापदंडो में श्रम विभाग के अन्तर्गत मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के अन्तर्गत पंजीकृत श्रमिक हेतु विवाह सहायता योजना को सामाजिक न्याय विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में समाहित किया गया है। मध्यप्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल के अन्तर्गत पंजीकृत श्रमिक हितग्राहियों को भी सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा संचालित मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के अन्तर्गत आयोजित सामूहिक विवाह में भाग लेना होगा एवं पात्रता की शर्ता को पूरा करना होगा। अब ऐसे हितग्राहियों के एकल विवाह मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना के अन्तर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र नही होगे। ऐसे पंजीकृत श्रमिक अधिकतम दो पुत्रियों पर व्यय की गई राशि मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल से प्राप्त की जायेगी। दो से अधिक पुत्रियों के विवाह की स्थिति में योजना अन्तर्गत सहायता राशि सामाजिक न्याय एवं निःशक्तजन कल्याण विभाग द्वारा प्रदान की जायेगी। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना मध्यप्रदेश की वधु के लिए है। यदि वर प्रदेश के बाहर का भी है तो उस वधु को योजना का लाभ प्राप्त करने का अधिकार होगा। लेकिन जब वर या वधु के अभिभावक प्रदेश के मूल निवासी नही हो तो योजना अन्तर्गत लाभ प्राप्त नही होगा। कन्या पूर्व में विवाह न हुआ हो। इस मापदण्ड से आशय यह है कि वर-वधु का विवाह योजना अन्तर्गत आयोजित सामूहिक विवाह कार्यक्रम में ही संम्पन्न हो एवं ऐसा न हो की उसके द्वारा पूर्व में एकल या किसी अन्य सामूहिक विवाह कार्यक्रम द्वारा विवाह कर लिया गया हो। सामूहिक विवाह कार्यक्रम तभी आयोजित किये जायेगे जब न्यूनतम 5 जोड़ों से आवेदन प्राप्त होगें।

सामूहिक विवाह में सम्मिलित होने वाली वधु एवं वर को संयुक्त रूप से निर्धारित प्रपत्र में आवेदन पत्र संबंधित निकाय, नगर परिषद् या जनपद पंचायत में जिले के प्रभारी मंत्री द्वारा सामूहिक विवाह कार्यक्रम के निर्धारित दिनांक से 15 दिन पूर्व जमा करना होगा। सभी प्राप्त आवेदनों को विवाह पोर्टल में सामूहिक विवाह कार्यक्रम से 7 दिवस पूर्व दर्ज करने की जिम्मेदारी संबंधित निकाय, नगर परिषद एवं जनपद पंचायत की होगी। कार्यक्रम के आयोजन हेतु अधिकृत संस्थाओं में नगरीय क्षेत्र में नगरीय निकाय (नगर निगम या नगर पलिका या नगर परिषद), ग्रामीण क्षेत्र में जनपद पंचायत होगी। अन्य किसी संस्था द्वारा कराये जा रहे सामूहिक विवाह इस योजनांतर्गत लाभ पाने हेतु पात्र नही होगें। योजनांतर्गत ग्रामीण क्षेत्र में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी तथा नगरीय क्षेत्र में आयुक्त नगर निगम या मुख्य नगर पालिका अधिकारी स्वीकृतकर्ता अधिकारी होगें।

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