राज्य शासन से स्पष्टीकरण तलब
जबलपुर/ हाई कोर्ट ने केंद्र शासन की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत कार्ड योजना से मध्य प्रदेश के 75 फीसद गरीब जनता के अब तक न जुड़ने को लेकर राज्य शासन से स्पष्टीकरण तलब कर लिया है। राज्य शासन को 25 नवंबर तक अपना जवाब पेश करना है।
कोर्ट मित्र वरिष्ठ अधिवक्ता नमन नागरथ ने पिछले दिनों कोर्ट में अंतरिम सुझाव प्रस्तुत किए। जिनमें आयुष्मान भारत कार्ड का बिंदु शामिल रहा। उन्होंने दलील दी कि कि शाजापुर के एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान फीस न चुका पाने के कारण बुजुर्ग बीमार को पलंग से बांध दिया गया था। उस घटना पर संज्ञान लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी है। इसी मामले को व्यापक करते हुए हाई कोर्ट निजी अस्पतालों के लिए गरीब मरीजों के निशुल्क इलाज संबंधी गाइडलाइन जारी करने पर विचार कर रहा है। ऐसे में आयुष्मान भारत कार्ड योजना पर गौर अत्यंत आवश्यक है। ऐसा इसलिए क्योंकि अब तक मध्य प्रदेश के महज 25 फीसद गरीब वर्ग के हितग्राही इससे जुड़ पाए हैं, जबकि 75 फीसद गरीब आयुष्मान से वंचित हैं। आयुष्मान भारत योजना के प्रदेश के सीईओ के बयान के हवाले से सिर्फ 25 फीसद के जुड़.ने की जानकारी सामने आई, जो कि चौंकाने वाली है। हाई कोर्ट को अवगत कराया गया कि आयुष्मान कार्डधारक प्रतिवर्ष पांच लाख तक का मुफ्त इलाज करा सकता है। इसके तहत सभी तरह की बीमारियां कवर होती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि मध्य प्रदेश की गरीब जनता का बड़ा हिस्सा अब तक आयुष्मान कार्डधारक क्यों नहीं बना? कहीं ऐसा तो नहीं कि केंद्र को 40 और राज्य को 60 फीसद राशि निवेश करनी है, इसी वजह से राज्य इस दिशा में उदासीनता बरत रहा है? इस संबंध में राज्य से जवाब मांगा जाना चाहिए। गरीबों के लिए वरदान जैसी आयुष्मान भारत कार्ड योजना से मध्य प्रदेश के सिर्फ निजी नहीं कई शासकीय अस्पताल तक नहीं जुड़े हैं। लिहाजा, सभी को जोड़ने की दिशा में राज्य शासन ने क्या कदम उठाए, यह भी पूछा जाना चाहिए। यदि कोई गरीब रिक्शेवाला सड़क पर बीमार हो जाए तो उसकी जेब से आधार कार्ड की तरह आयुष्मान कार्ड निकलना चाहिए। ऐसा इसलिए ताकि उसे फौरन भर्ती कराकर निशुल्क इलाज कराया जा सके।