Jahangirpuri Violence: digi desk/BHN/ राजधानी दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में शोभायात्रा पर हमले की घटना के बाद से भारी पुलिसबल तैनात है। जहांगीरपुरी हिंसा के बाद आज पहली जुमे की नमाज पढ़ी जाएगी। इसके लेकर पुलिस अलर्ट पर है। किसी भी तरह की स्थिति से निपटने के लिए पूरी तैयारी है। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। इस बीच जामा मस्जिद से अपील की गई है कि हालात को देखते हुए बच्चों को जुमे की नमाज के लिए मस्जिद से नहीं लाया जाए। वहीं इसी मसले पर आज सियारी पारा भी चढ़ रहेगा। टीएमसी के साथ ही समाजवादी पार्टी के नेताओं का दल आज जहांगीरपुरी का दौरा करेगा।
कोर्ट ने दिए हैं ये आदेश
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे बुलडोजर पर फिलहाल रोक लगी रहेगी। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने अगले आदेश तक यथास्थिति बनाए रखने का आदेश देते हुए यह भी साफ कर दिया कि देश के अन्य भागों में अवैध निर्माण के खिलाफ अभियान पर उसकी तरफ से कोई रोक नहीं लगाई गई है। जहांगीरपुरी मामले में कोर्ट ने नगर निगम, दिल्ली पुलिस और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया है। अब इस मामले में नौ मई को सुनवाई होगी।
न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव व बीआर गवई की पीठ ने जमीयत उलमा-ए- हिद की दो याचिकाओं और वामपंथी नेता वृंदा करात व कुछ अन्य की ओर से दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश दिए। जमीयत की एक याचिका जहांगीरपुरी मामले से संबंधित है और दूसरी मध्य प्रदेश और देश के अन्य हिस्सों में दंगाइयों की संपत्तियों पर ढहाने से संबंधित है।
नोटिस नहीं देने के आरोपों का खंडन
जहांगीरपुरी के याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि कानून के मुताबिक अतिक्रमण ढहाने से पहले नोटिस दिया जाना चाहिए। इस मामले में न तो नोटिस दिया गया और न ही लोगों को अपनी बात रखने का मौका दिया गया। केंद्र सरकार और उत्तरी दिल्ली नगर निगम की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि निर्माण तोड़ने से पहले नोटिस दिया गया था। कानून के मुताबिक फुटपाथ पर किए गए अतिक्रमण और मेज कुर्सी व स्टाल हटाने की कार्रवाई के लिए किसी नोटिस की जरूरत नही होती।
नोटिस पर याचिकाकर्ताओं से मांगी जानकारी
पीठ ने याचिकाकर्ताओं के वकीलों से पूछा कि क्या उन्हें कार्रवाई से पहले नोटिस मिला था। एक याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कहा कि कोई नोटिस नहीं मिला। इस पर पीठ ने हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा कि कार्रवाई से पहले उन्हें नोटिस मिला था कि नहीं। पीठ ने सरकार व निगम को याचिका का जवाब दाखिल करने का समय देते हुए मामले को दो सप्ताह बाद फिर सुनवाई पर लगाने का निर्देश दिया।