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Pariksha Pe Charcha: PM मोदी ने समझाया ऑनलाइन और ऑफलाइन का महत्व, पढ़िए बड़ी बातें

PM Modi Pariksha Pe Charcha: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने शुक्रवार को परीक्षा पे चर्चा 2022 कार्यक्रम के तहत बच्चों से संवाद किया। दो साल के बाद आफलाइन परीक्षा देने जा रहे 10वीं और 12वीं के विद्यार्थी काफी तनाव में हैं। ऐसे में पीएम के साथ प्रेरणादायी चर्चा से उन्हें अपना तनाव कम करने में काफी मदद मिली। कार्यक्रम के दौरान देश भर से करीब 20 विद्यार्थियों द्वारा पीएम से सवाल पूछे गए।

चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा

  • आज समस्या ये है कि हम कर्तव्यों का पालन नहीं करते हैं, इसलिए अधिकार के लिए उसको लड़ना पड़ता है। हमारे देश में किसी को अपने अधिकारों के लिए लड़ना न पड़े ये हमारा कर्तव्य है और उसका उपाय भी हमारा कर्तव्यों का पालन है।
  • आज जब देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, आज की जो पीढ़ी है जब वो अपने जीवन के सबसे सफल पलों से गुजर रही होगी तब देश आजादी की शताब्दी मना रहा होगा। ये 25 साल आपकी जिंदगी के हैं, आपके लिए हैं। उसका एक साधारण सा मार्ग है कर्तव्य पर बल देना। अगर मैं अपने कर्तव्यों का पालन करता हूं, तो मतलब है कि मैं किसी के अधिकार की रक्षा करता हूं।फिर उसको कभी अधिकार की मांग के लिए निकलना ही नहीं पड़ेगा।
  • खुद को जानना बहुत जरूरी है। उसमें भी कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें जानकर अलग कर लें। फिर आप ये जाने लें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं। आप स्वयं के विषय पर जरूर विश्लेषण कीजिए।
  • पुराने जमाने में शिक्षक का परिवार से संपर्क रहता था। परिवार अपने बच्चों के लिए क्या सोचते हैं उससे शिक्षक परिचित होते थे। शिक्षक क्या करते हैं, उससे परिजन परिचित होते थे। यानि शिक्षा चाहे स्कूल में चलती हो या घर में, हर कोई एक ही प्लेटफार्म पर होता था। लेकिन अब बच्चा दिन भर क्या करता है, उसके लिए मां बाप के पास समय नहीं है।
  • शिक्षक को केवल सिलेबस से लेना देना है कि मेरा काम हो गया, मैंने बहुत अच्छी तरह पढ़ाया।लेकिन बच्चे का मन कुछ और करता है। जब तक हम बच्चे की शक्ति, सीमाएं, रुचि और उसकी अपेक्षा को बारीकी से जानने का प्रयास नहीं करते हैं, तो कहीं न कहीं वो लड़खड़ा जाता है।
  • इसलिए मैं हर अभिभावक और शिक्षक को कहना चाहूंगा कि आप अपने मन की आशा, अपेक्षा के अनुसार अपने बच्चे पर बोझ बढ़ जाए, इससे बचने का प्रयास करें।
  • हमें 21वीं सदी के अनुकूल अपनी सारी व्यवस्थाओं और सारी नीतियों को ढालना चाहिए। अगर हम अपने आपको इन्वॉल्व नहीं करेंगे, तो हम ठहर जाएंगे और पिछड़ जाएंगे।
  • पहले हमारे यहां खेलकूद एक एक्स्ट्रा एक्टिविटी माना जाता था। लेकिन इस नेशनल एजुकेशनल पॉलिसी में उसे शिक्षा का हिस्सा बना दिया गया है।
  • सरकार कुछ भी करे तो कहीं न कहीं से तो विरोध का स्वर उठता ही है। लेकिन मेरे लिए खुशी की बात है कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी का हिंदुस्तान के हर तबके में पुरजोर स्वागत हुआ है। इसलिए इस काम को करने वाले सभी लोग अभिनंदन के अधिकारी हैं। इसमें लाखों लोग शामिल हैं। इसे देश के नागरिकों, विद्यार्थियों, अध्यापकों ने बनाया है और देश के भविष्य के लिए बनाया है।
  • 2014 से ही हम नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के काम पर लगे थे। हिंदुस्तान के हर कोने में इस काम के लिए इस विषय पर brainstorming हुआ। देश के अच्छे विद्वान, जो लोग साइंस और टेक्नोलॉजी से जुड़े थे, उसके नेतृत्व में इसकी चर्चा हुई। उससे जो ड्राफ्ट तैयार हुआ उसे फिर लोगों के बीच भेजा गया, उस पर 15-20 लाख इनपुट आए। इतने व्यापक प्रयास के बाद नई शिक्षा नीति आई है।

पीएम ने ऐसे समझाया ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई का महत्व

पीएम मोदी से कुछ छात्रों ने पूछा कि कोरोना के दौरान उन्होंने ऑनलाइन कक्षाएं ली, जिसके कुछ साइड इफेक्ट भी रहे। इसके कैसे बचा जाए? पीएम ने समझाया कि समस्या ऑनलाइन पढ़ने में  नहीं है, बल्कि मन की एकाग्रता में है। पीएम ने रोचक अंदाज में कहा,  ‘ऑनलाइन पाने के लिए है, ऑफलाइन बनने के लिए’। उन्होंने कहा, जैसे डोसा बनाने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन देखी और समझी जा सकती है, लेकिन क्या इससे पेट भरेगा। पेट तो तब भरेगा जब ऑफलाइन के रूप में हम पूरी सामग्री जुटाएंगे और डोसा बनाकर खाएंगे। इस तरह पीएम ने बच्चों से कहा कि वे ऑनलाइन से दुनियाभर की जानकारी हासिल कर लें और उसे ऑफलाइन के रूप में अपने जीवन में उतारें।

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