सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ राम भक्त हनुमानजी के चरित्र में ऐसे तत्व हैं, जिन्हें आत्मसात करें तो हमारा जीवन न केवल अनुशासित बल्कि पूरी तरह सफल हो सकता है। जो लोग हनुमानजी को अपना रोल मॉडल बना लेते हैं, उनके जीवन से समस्याओं का अंत होने लगता है। यह विचार व्यक्त करते हुए कथा व्यास मानस मर्मज्ञ मरघट नाथ आश्रम कोठी के सर्वेश्वरानंद सरस्वती ने रामचरित मानस के किष्किंधा कांड से सोहावल जनपद क्षेत्र के रामस्थान स्थित हनुमान जी मंदिर प्रांगण में 20 मार्च से संचालित श्री राम कथा पर सोमवार को बोलते हुए जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें मानस की चौपाइयों के माध्यम से समझाई।
उन्होंने ने कहा कि हनुमानजी बहुत शिक्षित थे। उन्होंने अपनी माता अंजनी, सूर्य और ऋषियों को अपना गुरु बनाकर शिक्षा प्राप्त की थी। इसीलिए वे बल-बुद्वि निधान कहलाए। उनमें जितनी शक्ति थी, उतना ही धैर्य भी था। अहंकार क्या होता है, इसे वे नहीं जानते थे। अपने किसी भी कार्य का श्रेय व स्वयं न लेकर दूसरों को ही देते थे। यही गुण उन्हें महान बनाता है। शिक्षा का कोई अन्य विकल्प नहीं है। जीवन में इसका होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम सभी अहंकार के बोझ से दबे हुए हैं। इसीलिए हम तनाव ग्रस्त रहते हैं। हमारे जीवन में जिस दिन हम हनुमानजी का प्रवेश करा लेंगे, समस्याओं का समाधान होने लगेगा। उन्होंने कहा कि मन भटकता है। इस पर नियंत्रण जरूरी है। इसका उपाय यह है कि हम अपने मन की परमात्मा से मैत्री करा दें। मन काबू में रहेगा, तो अहंकार और क्रोध भी दूर होने लगेंगे।