In chhindwara three generations of a family tested together grandson got inspiration from grandmother enthusiasm/छिंदवाड़ा/ सीखने और पढ़ने की कोई उम्र नहीं होती, यही वजह है कि छिंदवाड़ा की रहने वाली रिटायर्ड शिक्षिका सरोज अरोड़ा ने 80 साल की उम्र में परीक्षा तो दी ही है, साथ ही इनकी अगली दो पीढ़ी के सदस्य भी एक साथ परीक्षा हाल में बैठे। एक ही हाल में एक साथ तीन पीढ़ियों की परीक्षा देने का सेंटर में यह पहला मामला था। दादी के उत्साह से बहू के साथ-साथ पोते को भी प्रेरणा मिली।
सरोज अरोड़ा करीब 20 साल पहले शिक्षिका के पद से रिटायर हो चुकी हैं, लेकिन 80 साल की उम्र में उन्होंने इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय के छिंदवाड़ा स्टडी सेंटर में फूड एंड न्यूट्रिशन में डिप्लोमा के लिए परीक्षा दी है। खास बात यह है कि खुद उन्होंने तो परीक्षा दी, साथ ही उनकी बहू डॉ. सुनीता अरोड़ा और नाती ओम बत्रा ने भी उनके साथ एक ही हॉल बैठकर एक ही कोर्स के लिए परीक्षाएं दी।
रिटायर्ड शिक्षिका के पति इंजीनियर बीरबल अरोड़ा का स्वर्गवास पिछले फरवरी माह में हो गया था, जिसके कारण वे खुद और उनका परिवार मानसिक रूप से परेशान था। लेकिन डिप्रेशन से निकलकर पूरे उत्साह एवं जोश के साथ उन्होंने अपने परिवार को एकजुट किया और पढ़ाई में लग गईं। पूरे परिवार को नकारात्मक विचारों से हटाकर लोगों को संदेश देने के उद्देश्य से भी लगातार पढ़ाई करती रही और उन्होंने बकायदा परीक्षा हाल में बैठकर परीक्षा भी दी।
श्रीमती अरोरा ने हमउम्र बुजुर्ग साथियों को संदेश देते हुए कहा कि स्वयं को रिटायर एवं बेकार समझने के बजाय अपनी उर्जा का उपयोग सकारात्मक कार्यों में लगाना चाहिए, जिससे कि वृद्धावस्था सुखद हो जाती है। उम्र के कारण शरीर में होने वाले परिवर्तनों एवं कमजोरी को रोका तो नहीं जा सकता लेकिन व्यायाम योगा, मेडिटेशन, उचित आहार एवं लगातार अध्ययन करने से अपनी उर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाकर शांत एवं आनंददायक वृद्धावस्था का अनुभव किया जा सकता है। बढ़ती उम्र सिर्फ एक आंकड़ा है, जिसे आप अपनी संतुलित, नियमित जीवनशैली से परास्त कर सकते हैं।