Common university entrance test for admission in central universities to give only 60 answers: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ केंद्रीय विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) की घोषणा के बाद अब उससे जुड़ी तैयारियां भी तेज हो गई हैं। फिलहाल इसके आयोजन की जो योजना बनाई गई है, उसके तहत यह परीक्षा कंप्यूटर आधारित होगी। साथ इसका आयोजन पूरे देश में होगा। अंडर ग्रेजुएट के सामान्य पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए होने वाली इस परीक्षा में कुल 75 सवाल पूछे जाएंगे, लेकिन छात्रों को सिर्फ 60 सवालों के ही जवाब देने होंगे। परीक्षा एक घंटे की होगी और सभी सवाल 12वीं स्टैंडर्ड के होंगे।
शिक्षा मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, सीयूईटी का पूरा खाका तैयार हो गया है। जल्द ही इसे अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इस बीच, सीयूईटी के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया एक अप्रैल से शुरू करने के संकेत दिए गए हैं जो 30 अप्रैल तक प्रस्तावित है। हालांकि परीक्षा जुलाई में आयोजित होगी और इसकी तिथि का एलान भी जल्द करने के संकेत दिए गए हैं।
भाषा या संस्कृत से जुड़े पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए इसके साथ ही एक अलग परीक्षा होगी, जिसमें करीब 50 सवाल पूछे जाएंगे और छात्रों को सिर्फ 40 के ही जवाब देने होंगे। इस परीक्षा का समय 45 मिनट का होगा। खास बात यह है कि छात्रों को रजिस्ट्रेशन के समय ही इससे जुड़े सभी विकल्पों को भरना होगा। परीक्षा के आयोजन का जिम्मा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को दिया गया है।
सीयूईटी के आयोजन में जुटे अधिकारियों के मुताबिक, परीक्षा में छात्रों को ज्यादा सवालों के विकल्प दिए जाएंगे। यह व्यवस्था देशभर में 12वीं के अलग-अलग बोर्डों के चलते बनाई गई है। हालांकि परीक्षा एनसीईआरटी से जुड़े पाठ्यक्रमों पर ही आधारित होगी, लेकिन कोशिश होगी कि जो भी सवाल रखे जाएं उन्हें लेकर देश के दूसरे बोर्डो से पढ़कर आने वाले छात्रों को कोई दिक्कत न हो। यह परीक्षा 13 भाषाओं में आयोजित होगी। छात्र किस भाषा में परीक्षा देना चाहता है, इसकी जानकारी उसे रजिस्ट्रेशन के समय ही देनी होगी।
शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि सीयूईटी से छात्रों को विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए भटकना नहीं होगा। साथ ही मंत्रालय की यह भी कोशिश है कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के साथ ही राज्यों और निजी विश्वविद्यालय भी सीयूईटी के स्कोर के आधार पर अपने यहां दाखिले दें। इससे उन पर वित्तीय बोझ कम पड़ेगा, साथ ही समय की बड़ी बचत होगी। मौजूदा समय में नीट और जेईई-मेंस के स्कोर के आधार पर ही ज्यादातर राज्य अपने इंजीनियरिंग और मेडिकल कालेजों में दाखिले देते हैं।