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Fuel Crisis: कंगाली की कगार पर श्रीलंका, गहराया तेल संकट, पेट्रोल पंप पर सेना तैनात

Sri Lanka Fuel Crisis: digi desk/BHN/नई दिल्ली/आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में अब भीषण ईंधन संकट पैदा हो गया है। श्रीलंका के अधिकांश पंपों पर पेट्रोल व डीजल अब उपलब्ध है और लोगों को चूल्हा जलाने के लिए मिट्टी के तेल व गैस की भी कमी हो रही है। बढ़ते ईंधन संकट के बीच श्रीलंका में सरकार विरोधी प्रदर्शन भी शुरू हो गए हैं। विरोध प्रदर्शनों से निपटने के लिए श्रीलंकाई सरकार को पेट्रोल और गैस स्टेशनों पर सेना की तैनाती का आदेश दे दिया है। श्रीलंकाई सरकार के प्रवक्ता रमेश पथिराना ने कहा है कि गुस्साई भीड़ ने कोलंबो में एक मुख्य सड़क को अवरुद्ध कर दिया और सोमवार को मिट्टी का तेल नहीं खरीद पाने के कारण घंटों यातायात बाधित रहने के बाद सैनिकों को तैनात किया गया। सोशल मीडिया पर शेयर एक वीडियो में देखा जा सकता है कि गुस्साई महिलाओं के एक समूह ने खाना पकाने के चूल्हे के लिए आवश्यक मिट्टी के तेल की कमी का विरोध करने के लिए एक पर्यटक कोच को रोक दिया।

श्रीलंका में बीते 70 सालों की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी

श्रीलंका फिलहाल बीते 70 सालों की सबसे बड़ी आर्थिक मंदी से गुजर रहा है। पूरे देश में जनता को बिजली, भोजन और रसोई गैस जैसी आवश्यक वस्तुओं की कमी हो रही है। गरीब परिवारों को सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।

भारत ने फरवरी में दिया था 50 करोड़ डॉलर का कर्ज

गौरतलब है कि इस साल फरवरी में ही भारत ने आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका को ईंधन की खरीद के लिए 50 करोड़ डॉलर के कर्ज की घोषणा की थी। इस घोषणा से पहले भारत श्रीलंका को 915 मिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा सहायता भी दे चुका था।

हिंसक विरोध प्रदर्शन, 3 बुजुर्गों की मौत

तेल के लिए लंबी लाइन में कई जगह विवाद की भी खबरें आ रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक स्थान पर विवाद के बाद एक व्यक्ति ने मोटरसाइकिल सवार की चाकू मारकर हत्या कर दी, जिसके बाद सेना बुलाई गई। इसके अलावा विरोध प्रदर्शन के दौरान कतार में खड़े तीन बुजुर्गों की भी मौत हो गई है। पुलिस ने कहा कि शनिवार से ईंधन की कतारें कई पेट्रोल स्टेशनों पर रात भर लोगों को डीजल और गैसोलीन की खरीद के लिए इंतजार करते देखा गया।

विपक्षी दलों ने किया बैठक का बहिष्कार

इधर बुधवार को आर्थिक संकट पर चर्चा के लिए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के कार्यालय ने सभी राजनीतिक दलों को बुलाया गया है, वहीं विपक्षी दलों ने बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।

विदेशी मुद्रा की कमी से जूझ रहा श्रीलंका

दरअसल श्रीलंका विदेशी मुद्रा की भारी कमी से जूझ रहा है, जिसके चलते व्यापारी आयात की कीमत चुकाने में असमर्थ हैं। कोरोना महामारी के चलते श्रीलंका के पर्यटन क्षेत्र को पहले ही प्रभावित कर दिया था, जो देश के लिए विदेशी मुद्रा का एक महत्वपूर्ण स्रोत था। राजपक्षे ने बीते सप्ताह घोषणा की थी कि श्रीलंका को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष, आईएमएफ से बेलआउट पैकेज की जरूरत है। श्रीलंका सरकार पर पहले ही 51 अरब डॉलर का विदेशी कर्ज के जाल में फंसा हुआ है।

 

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