MP electricity news, electricity company will maintain lines through drones: digi desk/BHN/जबलपुर/उम्र दराज बिजली लाइन स्टाफ के कार्य क्षमता में कमी को देखते हुए बिजली कंपनी ने ड्रोन का इस्तेमाल शुरू किया है। जिसकी मदद से लाइनों का रखरखाव किया जा रहा है। ये पहला प्रयोग जबलपुर समेत प्रदेश के कई हिस्सों में किया गया। जिसके नतीजों को देखने के बाद इसे स्थायी रूप से उपयोग में लिया जाएगा। ड्रोन के जरिए फोटोग्राफी करने उन्हें कम्प्यूटर के माध्यम से ट्रांसमिशन लाइन की खराबी का पता लगाया जाता है।
प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय दुबे के निर्देश पर ट्रांसमिशन कंपनी ने वर्तमान में ड्रोन टेक्नोलाजी के उपयोग से ट्रांसमिशन लाइन की पेट्रोलिंग के लिए पायलट प्रोजेक्ट करने हेतु ठेका दिया है। जिसके अंतर्गत पेट्रोलिंग का कार्य पायलट प्रोजेक्ट के रूप में प्रारंभ किया गया है। प्रारंभिक रूप से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लगभग 400 किलोमीटर अति उच्च दाब लाइनों में ड्रोन के माध्यम से पेट्रोलिंग की जानी है। इसमें 400 केवी सिवनी-सारणी, 220 केवी जबलपुर- अमरकंटक एवं 132 केवी सिवनी- बालाघाट लाइन में द्रोण के माध्यम से पेट्रोलिंग कराई जा रही है जिनके प्राप्त परिणामों के आधार पर भविष्य में यह निर्धारित किया जाएगा कि अन्य कौन सी लाइनों पर द्रोण के माध्यम से पेट्रोलिंग कराई जानी है।
क्या करता है ड्रोन
ड्रोन में जो कैमरे लगे हैं वह टावर और कंडक्टर दोनों की फोटोग्राफी करते हैं। जिसका आउटपुट कंप्यूटर पर लेकर उन फोटो को जूम किया जा सकेगा और खराबी को करीब से देखकर आकलन किया जाता है। वर्तमान में दो प्रकार की पेट्रोलिंग की जाती है एक में जमीन से ही टावर को देखा जाता है एवं दूसरे में टावर के ऊपर चढ़कर खराबी का देखकर उसे दूर करने का प्रयास होता है। ट्रांसमिशन लाइनों के टावर्स अत्यधिक ऊंचे होते हैं जिनमें सामान्य आंखों से लाइन स्टाफ को डिफेक्ट देखना होता है, जिसमें गलतियों की संभावना सदैव बनी रहती है किंतु ड्रोन के माध्यम से जो पेट्रोलिंग की जावेगी उसमें पेट्रोलिंग के दौरान संभावित मानवीय भूलों की संभावना न के बराबर होगी। कंप्यूटर पर ट्रांसमिशन लाइनों के विशेषज्ञ प्राप्त चित्रों का अध्ययन करेंगे और योजनाबद्ध तरीके से खराबी को दूर किया जाएगा।
किराए पर लिए ड्रोन
मप्र पावर ट्रांसमिशन कंपनी के प्रबंध संचालक सुनील तिवारी ने बताया कि ड्रोन को खरीदने की कोई योजना नहीं है। हम किराए पर ड्रोन लेते हैं जिसका उपयोग किया जाता है। इससे रखरखाव और संचालन का खर्च बचता है। उनके मुताबिक अभी ड्रोन से किए गए काम की रिपोर्ट आई है। जिसका अध्ययन करने के बाद तय होगा कि आगे इस तरह से काम किया जाए कि नहीं।