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Satna: “शबे बराअत मग़फ़िरत और रिज़्क़ तलब करने की रात ” : शेरू खान

    ( समाजसेवी शेरू खान)

सतना, भास्कर हिंदी न्यूज़/ 18 मार्च जुमे का दिन गुज़ार कर आने वाली रात शबे बराअत होगी, शबे बराअत का मतलब होता है आज़ादी की रात नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया की अल्लाह पाक इस रात में बनी कल्ब (एक क़बीले का नाम है जिनके पास बहुत बकरियां थीं) की बकरियों के बालों की तादाद के बराबर अपने बंदों की मग़फ़िरत फरमा देता है। इसलिए इसको आज़ादी की रात यानी शबे बराअत कहा जाता है। समाज सेवी शेरू खान ने बताया कि नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम का इरशाद है जब 15 वी शब आए तो तुम रात में क़याम करो और दूसरे दिन रोज़ा रखो क्योंकि 15वी शब में गुरूबे आफताब के बाद से अल्लाह पाक आसमाने दुनिया पर अपनी शान के मुताबिक तजल्ली फरमाता है और इरशाद फरमाता है।

है कोई मगफिरत का तालिब, है कोई रिज़्क़ का सवाल करने वाला, है कोई कर्ज में मुब्तिला, है कोई गुनाहों से माफी मांगने वाला, यह रब्बे करीम की एक गैबी निदा है। जो हम बजाहिर सुन तो नहीं सकते लेकिन रहमते कौनैन नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम जो मुखबिरे आज़म है आपने हमें इसकी खबर दी है खुद नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने फरमाया। तुलुऐ फजर तक यह गैबी निदा जारी रहती है। इसके पहले हिस्से में गौर फरमाएं और नबी अकरम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम का यह फरमाने ज़ीशान है “कि जब 15वी शब आए तो इस रात में कियाम करो” मालूम हुआ कि इस रात को इबादत में गुजारने का मुतालबा खुद मिनजानिबे शरा है और इसमें अल्लाह की रहमत जोश में है। जो मगफिरत तलब करेगा अल्लाह उसकी बख्शिश का तोहफा अता करेगा,श्री खान ने आगे बताया कि जो रिज़्क़ क् मुतालबा करेगा उसके रिज़्क़ में बरकतें अता की जायेगीं, जो क़र्ज़दार क़र्ज़ से छुटकारे की दुआ करेगा उसे क़र्ज़ से रिहाई दी जाएगी , गुनाहगारों के गुनाह बख्शे जायेंगे, जा नाशीने मुफ्तिऐ आजम हज़रत अल्लामा मुफ्ती अख्तर रजा खां हुजूर ताजुश्शरियह अलैहिर्रहमा इरशाद फरमाते हैं शबे बराअत गुनाहों से, बलाओं से, आखिरत के अज़ाब से, छुटकारा पाने की रात है। और आपने फरमाया की अरबी लफ्ज में शबे बराअत को लैलतुल बराअह भी कहा जाता है, इस रात के ताल्लुक़ से यह भी मशहूर है कि जंगे ओहद में सरवरे कायनात नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के 4 दन्दान मुबारक शहीद हो गए इस बात की तहक़ीक़ यह है कि नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम का कोई भी दांत शरीफ मुकम्मल शहीद नहीं हुआ था बल्कि इस हवाले से शेख मुहक़्क़िक़ अब्दुल हक मुहाद्दिस देहलवी अलैहिर्रहमा फरमाते हैं कि नबी ए करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के दनदान मुबारक टूटने का हरगिज़ यह मायना नहीं है कि जड़ से उखड़ गया हो बल्कि आपके दनदान मुबारक का एक टुकड़ा शहीद हुआ था।

{अशअतुल लमआत, शरह मिश्क़ात जिल्द नंबर 4 सफा नंबर 15}

इसी बात को लेकर आवाम में यह बात भी फैली है कि हजरत ओवैस करनी रदीयल्लाहू अन्हू ने जब यह सुना कि आप नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के दन्दान मुबारक शहीद हो गए इसलिए आपने अपने दन्दान हुजूर की मोहब्बत में शहीद कर लिए थे हालांकि तहक़ीक़ यह है कि यह वाक्या सरासर मनगढ़ंत और बेबुनियाद है और जिन किताबों में यह मौजूद है वह बेदीनों की मिलावट है ऐसी रिवायत नजर से नहीं गुजरी और ना ही ऐसी कोई रिवायत है।

(फतवा बरेली शरीफ सफा नंबर 301)

लिहाजा शबे बराअत में आप इबादत करें अपने गुनाहों की माफी तलब करें, क़ज़ा नमाजें अदा करें और अच्छे पकवान हलवा वगैरह बना कर बुजुर्गों के नाम से ईसाले सवाब करना सवाब का काम है लेकिन बेबुनियाद बातों को हरगिज़ असल ना मानें ।

शबे बराअत की रात क्या करें

1-शबे बराअत शुरू होने से पहले यानी 14 शाबान को असर की नमाज के बाद मगरिब की नमाज से पहले 40 मर्तबा लाहौल पढ़ें।
2-मगरिब की नमाज के बाद सूरह यासीन की तिलावत करें और दुआ करें।
3-रात में फज़र की नमाज़ से पहले क़ब्रिस्तान जाना सुन्नत है अपने मरहूमीन की क़ब्रो की ज़ियारत करें
4-रात में नफिल या फिर कज़ा नमाज़े पढें यह नफिल से ज़्यादा ज़रूरी है
5- दूसरे दिन रोजा रखें ।
6-ज़्यादा से ज़्यादा वक्त इबादत में गुज़ारे नमाज़े अदा करें अल्लाह से गुनाहों की माफी तलब करें हो सके तो सलातुत तसबीह की नमाज़ पढ़ें और तमाम मुसलमानों के लिए दुआ करें
बराए महरबानी इस मुकद्दस रात को खूब इबादत में गुज़ारें खूब इस्तगफार करें तमाम मुसलमानों के लिये दुआ करें मुल्क में अमन व अमान और तरक़्क़ी के लिए दुआ करें।

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