Multidisciplinary courses will start in government colleges from next session fees will have to be kept low: digi desk/इंदौर/ सत्र 2020-21 से स्नातक पाठ्यक्रम में नई शिक्षा नीति लागू हो चुकी है, जिसमें बहुसंकायी पाठ्यक्रम की व्यवस्था की गई है। उच्च शिक्षा विभाग इन दिनों बहुसंकायी पाठ्यक्रम तैयार करने में लगा है। विभाग ने अगले सत्र से इन विषय व पाठ्यक्रम को शुरू करने के निर्देश दिए है। प्रदेशभर के 238 सरकारी कालेजों में इन्हें संचालित करने को कहा है, लेकिन स्ववित्त आधार पर इन पाठ्यक्रम को शुरू करना है। विभाग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि फीस अधिक नहीं रखना है, क्योंकि सरकार इन दिनों अनुसूचित वर्ग को साधने में लगी है। इसके तहत उन विद्यार्थियों को फायदा पहुंचना है। ताकि ज्यादा से ज्यादा अनुसूचित छात्र-छात्राएं प्रवेश ले सके।
बीते सत्र से विभाग ने स्नातक में नई शिक्षा नीति लागू की है। अब विज्ञान संकाय के छात्र-छात्राएं कला व वाणिज्य के विषय भी पढ़ सकते है। मगर कला- वाणिज्य संकाय के विद्यार्थी विज्ञान के विषय नहीं ले सकते है। नई नीति के तहत करीब 70 विषय रखे गए है। इनमें से छात्र-छात्राओं को चुनना है। इसके चलते विभाग ने बहुसंकायी पाठ्यक्रम पर जोर दिया है। ज्यादा तक पाठ्यक्रम का सिलेबस बन चुका है।
अधिकारियों के मुताबिक 15 फरवरी को भोपाल में उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें बहुसंकायी पाठ्यक्रम शुरू करने को लेकर योजना बनाई गई। प्रदेशभर के 238 सरकारी कालेजों में इन पाठ्यक्रम को स्ववित्त आधार पर संचालित करने पर सहमति बनी है। विज्ञान, कला व वाणिज्य वाले कालेजों को चुना है, जिसमें प्रबंधन को मई-जून के बीच पाठ्यक्रम संचालन को लेकर कार्ययोजना बनाकर देना है। वैसे कोर्स की फीस कम रखने को कहा है।
अन्य कालेजों से बुलाएं शिक्षक
विज्ञान-कला और वाणिज्य विषय बहुत कम सरकारी कालेजों में एक साथ संचालित होते है। इसके चलते कालेजों को इन बहुसंकायी पाठ्यक्रम शुरू करने में दिक्कतें आ सकती है। इसके चलते विभाग ने बीच का रास्ता निकाला है। विज्ञान संकाय वाले कालेज में कला-वाणिज्य पाठ्यक्रम भी संचालित कर सकेंगे। इन विषयों की कक्षा लगाने के लिए नजदीक सरकारी कालेज जहां कला- वाणिज्य विषय को पढ़ाया जाता है। वहां से शिक्षकों को बुलाया जा सकता है। यहां तक सेवानिवृत्त शिक्षकों को भी मदद करने की व्यवस्था रखी है। यह व्यवस्था के लिए अग्रणी कालेजों को जिम्मेदारी सौंपी है।