Supreme court refuses to hear new petition on promises of free gifts to voters during elections: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त उपहारों की घोषणाओं पर यूं तो सुप्रीम कोर्ट भी सख्त है लेकिन नई आई याचिका पर उसने आपत्ति जता दी है। कोर्ट का रुख देखते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भले ही इस नई याचिका पर विचार करने से इन्कार कर दिया हो लेकिन राजनैतिक दलों द्वारा मुफ्त घोषणाओं का मामला उसके समक्ष पहले लंबित है।
अश्वनी कुमार उपाध्याय की ओर से दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 25 जनवरी को केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया था। इसके बाद हिन्दू सेना संगठन के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका दाखिल कर राजनैतिक दलों द्वारा मुफ्त घोषणाएं करने का मुद्दा उठाया। याचिका में सपा, कांग्रेस और आप आदि कुछ दलों को पक्षकार बनाया गया। कोर्ट से मुफ्त घोषणाएं करने वाले दलों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।
याचिका में कहा गया कि मुफ्त घोषणाएं प्रलोभन हैं जो जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (1) में भ्रष्टाचार के दायरे में आती हैं। जिन दलों ने मुफ्त घोषणाएं की हैं उनके उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित किया जाए। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का चुनाव आयोग को आदेश दिया जाए क्योंकि इनके दल मतदाताओं को प्रलोभन दे रहे हैं।
गुरुवार को जैसे ही मामला सुनवाई पर आया और याचिकाकर्ता के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने बहस शुरू करनी चाही तभी तीन सदस्यीय पीठ की अध्यक्षता कर रहे चीफ जस्टिस एनवी रमना ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम तीनों का मानना है कि ये याचिका किसी खास उद्देश्य से दाखिल की गई है। यह याचिका प्रेरित है। इसके पीछे कोई छुपा हुआ उद्देश्य है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर सवाल उठाते हुए कहा कि आप कौन हैं। यह याचिका कुछ दलों को नुकसान पहुंचाने के लिए दाखिल की गई लगती है।
वकील ने कहा कि याचिकाकर्ता हिन्दू सेना का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष है और याचिका दाखिल करने के पीछे उसका कोई निजी हित या उद्देश्य नहीं है। जस्टिस रमना ने कहा कि वे पहले से ही एक ऐसे मामले की सुनवाई कर रहे हैं। तभी पीठ के दूसरे जज ने कहा कि आपकी याचिका सामान्य प्रकृति की होनी चाहिए इसमें सिर्फ कुछ ही दलों को प्रतिपक्षी क्यों बनाया गया है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिका के पीछे एजेंडा है। यह याचिका प्रचार पाने के लिए दाखिल की गई है। वकील ने कहा कि वह याचिका में पक्षकारों की सूची में संशोधन कर देगा कोर्ट उसे इसकी इजाजत दे लेकिन कोर्ट ने कहा कि आप याचिका वापस लीजिए वरना आप पर जुर्माना लगेगा। कोर्ट का सख्त रुख देखते हुए याचिकाकर्ता ने याचिका वापस ले ली।