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Pension Scheme: छत्तीसगढ़ में भी लागू होगी पुरानी पेंशन योजना, कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ी

Old Pension Scheme: digi desk/BHN/ रायपुर/  छत्तीसगढ़ सरकार भी अपने कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू कर सकती है। दावा किया जा रहा है कि इसके लागू होने से सरकार पर तुरंत कोई वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। हालांकि कांग्रेस शासित राजस्थान में पुरानी व्यवस्था लागू होने के बाद ही सरकार ने वित्त विभाग को इसके अध्ययन का निर्देश दे रखा है।

इस बीच कांग्रेस गठबंधन वाली पड़ोसी राज्य झारखंड की सरकार ने भी पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा कर दी है। इससे प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों की उम्मीदें बढ़ गई हैं। माना जा रहा है कि सात मार्च से शुरू हो रहे विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सरकार इसे लागू करने की घोषणा कर सकती है।

इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि इसके लिए वित्तीय स्थिति का अध्ययन किया जाएगा। जो भी संभव होगा, उसे किया जाएगा। केंद्र की अटल सरकार ने इसे बंद कर दिया था, चर्चा में यह विषय आया है, तो विचार करेंगे।

2.95 लाख से ज्यादा को मिलेगा लाभ

छत्‍तीसगढ़ प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों की संख्या लगभग तीन लाख 88 हजार है। इसमें दो लाख 95 हजार से अधिक 2004 के बाद के हैं, जो पुरानी पेंशन योजना के दायरे में नहीं है। पुरानी पेंशन योजना लागू होने से इन्हें लाभ होगा।

फिलहाल बचेगा तीन सौ करोड़ से अधिक

कर्मचारी नेताओं का दावा है कि पुरानी पेंशन योजना लागू करने से सरकार का फिलहाल हर महीने तीन सौ करोड़ रुपये से ज्यादा बचेगा। यह राशि सरकार अंशदान के रूप में जमा करती है। पुरानी पेंशन योजना में सरकार को अंशदान नहीं करना पड़ेगा।

फंस सकता है पेंच

पुरानी व्यवस्था लागू होने से सरकार पर वित्तीय भार नहीं पड़ने के पीछे तर्क दिया जा रहा है कि 2004 के बाद सेवा में आने वाले 2030-35 में सेवानिवृत्त होंगे। हालांकि 2004 के बाद 10 वर्ष की सेवा के बाद दिवंगत हुए कर्मचारियों के मामले में पेंच फंस सकता है। इस पर सरकार को फैसला करना होगा।

कर्मचारी संगठन हुए सक्रिय

पुरानी पेंशन योजना बंद होने के बाद से लगभग सभी कर्मचारी संगठन इसे फिर से बहाल करने की मांग लगातार कर रहे थे। ताजा घटनाक्रम के बाद कर्मचारी संगठनों ने मांग तेज कर दी है। कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रदेश संयोजक कमल वर्मा, तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार झा, मंत्रालय शीघ्रलेखक संघ के अध्यक्ष देवलाल भारती सहित अन्य कर्मचारी संगठनों ने इस मामले में सरकार को पत्र भेजा है।

दोनों पेंशन योजनाओं में यह है अंतर

पुरानी पेंशन योजना- कर्मचारियों के मूल वेतन और महंगाई भत्ता का 12 प्रतिशत रकम जनरल प्रोविडेंट फंड (जीपीएफ) में जमा किया जाता है। इसमें सरकार का कोई अंशदान नहीं देती। इस राशि का उपयोग सरकार अपनी विभिन्न कल्याणकारी योजना में करती है। जमा राशि पर आठ प्रतिशत वार्षिक ब्याज दिया जाता है। सेवानिवृत्ति पर अंतिम वेतन का 16.5 गुणा तक ग्रेच्युटी दिया जाता है। इस राशि पर आयकर नहीं देना पड़ता है। साथ ही अंतिम वेतन का 50 फीसद तक निश्चित पेंशन सरकार देती है। सेवाकाल में मृत्यु होने पर आश्रित को पारिवारिक पेंशन और अनुकंपा नियुक्ति की पात्रता है। जीपीएफ से लोन लेेने की सुविधा है।

नई पेंशन योजना

इसमें कर्मचारियों के मूल वेतन और महंगाई भत्ता का 14 प्रतिशत काटा जाता है। सरकार अपनी तरफ से उतनी ही राशि मिलाकर जमा करती है। यह राशि नेशनल सिक्योरिटीज डिपाजिटरी लिमिटेड (एनएसडीएल) के माध्यम से बनाए गए ट्रस्ट के खाते में जमा होता है। एनएसडीएल राशि का उपयोग शेयर मार्केट में करती है। सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को एक मुश्त राशि का भुगतान कर दिया जाता है।

 

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