Vrat mahashivratri will be celebrated in panchagrahi and special siddha yoga it will be three hours abhishek worship: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ शिवरात्रि शिव और शक्ति के अभिसरण का विशेष पर्व है। हर माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि के नाम से जाना जाता है। अमांत पञ्चाङ्ग के अनुसार माघ माह की शिवरात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। परन्तु पुर्णिमांत पञ्चाङ्ग के अनुसार फाल्गुन माह की मासिक शिवरात्रि को महा शिवरात्रि कहते हैं। दोनों पञ्चाङ्गों में यह चन्द्र मास की नामाकरण प्रथा है जो इसे अलग-अलग करती है। हालाँकि दोनों, पूर्णिमांत और अमांत पञ्चाङ्ग एक ही दिन महा शिवरात्रि के साथ सभी शिवरात्रियों को मानते हैं। डा पंडित गणेश शर्मा स्वर्ण पदक प्राप्त ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस वर्ष महाशिव रात्रि पर विशेष सिद्धि योग बन रहा है कि सूर्य और चंद कुंभ राशि में है साथ ही परिध योग के साथ ही कल शिव योग भी रहेगा पंडित गणेश शर्मा के अनुसार मकर राशि में बरहवे भाव में पंचग्रहि योग का निर्माण हो रहा है जिससे महा शिवरात्रि का महत्व और बढ़ जाता है
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हो गए। उनके क्रोध की ज्वाला से समस्त संसार जलकर भस्म होने वाला था किन्तु माता पार्वती ने महादेव का क्रोध शांत कर उन्हें प्रसन्न किया इसलिए हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को भोलेनाथ ही उपासना की जाती है और इस दिन को मासिक शिवरात्रि कहा जाता है।माना जाता है कि महाशिवरात्रि के बाद अगर प्रत्येक माह शिवरात्रि पर भी मोक्ष प्राप्ति के चार संकल्पों भगवान शिव की पूजा, रुद्रमंत्र का जप, शिवमंदिर में उपवास तथा काशी में देहत्याग का नियम से पालन किया जाए तो मोक्ष अवश्य ही प्राप्त होता है।
इस पावन अवसर पर शिवलिंग की विधि पूर्वक पूजा और अभिषेक करने से मनवांछित फल प्राप्त होता है। मासिक शिवरात्रि अगर मंगलवार के दिन पड़ती है तो वह बहुत ही शुभ होती है। शिवरात्रि पूजन मध्य रात्रि के दौरान किया जाता है। मध्य रात्रि को निशिता काल के नाम से जाना जाता है और यह दो घटी के लिए प्रबल होती है
शिवरात्रि तीन पहर अभिषेक, पूजन एवं जागरण मुहूर्त
- चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ 28 फरवरी, 2022 को 27:17 बजे से।
- चतुर्दशी तिथि समाप्त – 01 मार्च को 25:00 बजे तक।
- निशिता काल पूजा समय 1 मार्च मध्य रात्रि के बाद रात 12 बजकर 5 मिनट से रात 12 बजकर 55 मिनट तक
- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय: 1 मार्च, शाम 06 बजकर 16 मिनट से 09 बजकर 21 मिनट तक।
- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय: 1 मार्च, रात 9 बजकर 22 मिनट से 2 बजकर 25 मिनट तक।
- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय: 2 मार्च, 12 बजकर 25 मिनट से 2 मार्च को तड़के 03 बजकर 33 मिनट तक।
- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय: 2 मार्च के प्रात:काल 03 बजकर 35 मिनट से सुबह 06 बजकर 41 मिनट तक।
शिवरात्रि पर रात्रि जागरण और पूजन का महत्व
माना जाता है कि आध्यात्मिक साधना के लिए उपवास करना अति आवश्यक है। इस दिन रात्रि को जागरण कर शिवपुराण का पाठ सुनना हर एक उपवास रखने वाले का धर्म माना गया है। इस अवसर पर रात्रि जागरण करने वाले भक्तों को शिव नाम, पंचाक्षर मंत्र अथवा शिव स्रोत का आश्रय लेकर अपने जागरण को सफल करना चाहिए।
उपवास के साथ रात्रि जागरण के महत्व पर संतों का कहना है कि पांचों इंद्रियों द्वारा आत्मा पर जो विकार छा गया है उसके प्रति जाग्रत हो जाना ही जागरण है। यही नहीं रात्रि प्रिय महादेव से भेंट करने का सबसे उपयुक्त समय भी यही होता है। इसी कारण भक्त उपवास के साथ रात्रि में जागकर भोलेनाथ की पूजा करते है।
शास्त्रों में शिवरात्रि के पूजन को बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। कहते हैं महाशिवरात्रि के बाद शिव जी को प्रसन्न करने के लिए हर मासिक शिवरात्रि पर विधिपूर्वक व्रत और पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन महादेव की आराधना करने से मनुष्य के जीवन से सभी कष्ट दूर होते हैं। साथ ही उसे आर्थिक परेशनियों से भी छुटकारा मिलता है। अगर आप पुराने कर्ज़ों से परेशान हैं तो इस दिन भोलेनाथ की उपासना कर आप अपनी समस्या से निजात पा सकते हैं। इसके अलावा भोलेनाथ की कृपा से कोई भी कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाता है।