Studying in private school: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ आमतौर पर स्कूली बच्चों के अभिभावकों की यह राय रहती है कि उनका बच्चा यदि सरकारी स्कूल में पढ़ेगा तो कमजोर रहेगा और प्राइवेट स्कूल में पढ़ने से होशियार हो जाएगा। ऐसा ही यदि आप भी सोचते हैं तो आपकी राय गलत हो सकती है। अब हाल ही में एक नए शोध में पता चला है कि “ज्यादातर माता-पिता मानते हैं कि निजी स्कूल उनके बच्चों को बेहतर शिक्षा देंगे और उन्हें जीवन में सफलता के लिए बेहतर तरीके से स्थापित करेंगे। लेकिन यह धारणा सच है या नहीं, इस पर सबूत निर्णायक नहीं हैं। न्यू इंग्लैंड विश्वविद्यालय से शिक्षा और मनोविज्ञान में पीएचडी कर रहे सैली लार्सन और अलेक्जेंडर फोर्ब्स ने इस बारे में एक शोध पत्र में विस्तार से लिखा है। यह शोध रिपोर्ट द कन्वर्सेशन पर प्रकाशित हुई है।
ऑस्ट्रेलिया में नर्सरी से चौथी कक्षा तक के 30 फीसदी बच्चे और पांचवीं से आठवीं तक के 40 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ते हैं। निजी स्कूलों की फीस भी उन्हें संचालित करने वाली संस्था के अनुसार अलग-अलग तय की जाती है। कैथोलिक स्कूलों में पढ़ाना आम तौर पर कम खर्चीला होता है। इन स्कूलों में एक परिवार को फीस के रूप में प्रति वर्ष 40,000 डॉलर तक का खर्च करना पड़ता है। ‘स्वतंत्र स्कूल’ कहे जाने के बावजूद ऑस्ट्रेलिया के सभी स्कूलों को सरकारी धन प्राप्त होता है। करीब करीब हर कैथोलिक स्कूलों को उनकी फंडिंग का लगभग 75 प्रतिशत मिलता है और स्वतंत्र स्कूलों को उनकी फंडिंग का लगभग 45 प्रतिशत राज्य और संघीय सरकारों से मिलता है।