छतरपुर/खजुराहो, भास्कर हिंदी न्यूज़/ बीती शाम पश्चिमी मंदिर समूह परिसर में बने चंदेल कालीन कंदारिया महादेव और जगदम्बी मंदिर की अनुभूति के बीच बने मुक्ताकाशी मंच पर प्रदेश के राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने दीप प्रज्ज्वलित करके 48वें खजुराहो नृत्य महोत्सव का भव्य शुभारंभ किया। अपने संक्षिप्त संबोधन में राज्यपाल पटेल ने कहा कि शास्त्रीय नृत्य भगवान की आराधना और भावों की अभिव्यक्ति है, खजुराहो में 80 मंदिरों में से 20 मंदिर बचे हैं जो भारतीय दर्शन का प्रतीक हैं। प्रदेश की पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर ने शास्त्रीय नृत्य संदर्भ का केन्द्र खजुराहो में स्थापित करने की घोषणा की। मप्र शासन संस्कृति विभाग के उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी मध्य प्रदेश संस्कृति परिषद द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित इस शुभारंभ कार्यक्रम में अतिथि के रूप में जिले के प्रभारी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, खजुराहो सांसद व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी दीपप्रज्ज्वलित किया। स्वागत भाषण संस्कृति विभाग
के प्रमुख सचिव शिवशेखर शुक्ला ने दिया। इस मौके पर अतिथियों में निदेशक जयंत भीसे, संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी, कार्यक्रम प्रभारी तथा उस्ताद अलाउद्दीन खां संगीत एवं कला अकादमी के उपनिदेशक राहुल रस्तोगी, कलेक्टर संदीप जीआर, एसपी सचिन शर्मा, एसडीएम राजनगर डीपी द्विवेदी भी मौजूद थे।
कृष्ण वंदना से कथक की उत्पत्ति के साथ उठा नृत्य महोत्सव का पर्दा
कंदारिया महादेव 0 देवी जगदम्बी के बीच बने मुक्ताकाशी मंच पर स्व. पं. बिरजू महाराज की शिष्या शास्वती सेन और ममता महाराज के मार्गदर्शन में दिल्ली स्थित कलाश्रम के शिष्यों द्वारा कथक समूह नृत्य से की गई। इस नृत्य में कृष्ण कथा को आधार बनाया। जिसमें भगवान कृष्ण की आराधना के भजन पर नृत्य के माध्यम से कथा, पुराण के अनुसार कथक नृत्य की उत्पत्ति को दर्शाया गया। इसके बाद होली आई रे की प्रस्तुति की गई, जिसमें रंगों के त्योहार होली पर्व को नृत्य के माध्यम से दर्शाया गया। राजमहल में होने वाले कथक नृत्य के माध्यम से दादरे, शोहरे की प्रस्तुति में लय और ताल का अनूठा समावेश दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर गया। दूसरी प्रस्तुति में देश-विदेश में कई पुरस्कारों से सम्मानित और इस वर्ष के कालीदास सम्मान से नवाजे गए प्रसिद्ध नृत्य साधक वीपी धनंजय ने अपनी पत्नी डा. शांता के शिष्यो द्वारा भरतनाट्यम समूह नृत्य प्रस्तुत किया। इस नृत्य की पहली प्रस्तुति कालिदास की कुमार संभव रचना के माध्यम से नृत्यांगना शोभना बालचन्द्र, दिव्या, शिवदास, श्रीनिवास सहित अन्य नर्तक व नृत्यांगनाओं द्वारा प्रार्थना प्रस्तुत की गई। इसके बाद दीपांजलि की प्रस्तुति में देशभक्ति पर आधारित भारत माता के लिए वंदेमातरम प्रस्तुत किया गया। फिर भगवान विष्णु को समर्पित दशावतार की प्रस्तुति की गई, जिसमें भगवान विष्णु के दश अवतारों को नृत्य के माध्यम से दर्शाया गया। भगवान शिव-माता पार्वती के विवाह उपरांत पहले मिलन को नृत्य शिल्प के माध्यम से मंच पर साकार कर दिया गया, जिसे सभी ने खूब सराहा।
विदेशी मेहमानों ने भी शिरकत की
48 वें खजुराहो नृत्य समारोह में इस बार खास विदेशी मेहमानों ने भी शिरकत की है। इनमें वियतनाम के राजदूत फाम सान चाऊ, लाओस के राजदूत शबौनेमे चौआंगहोम, फिनलैंड के राजदूत ऋत्वा कौक्कू रोंडे, ब्रूनेई के उच्चायुक्त दातो अल्हिदुद्दीन मोहम्मद तहा और मलेशिया के उच्चायुक्त हामिद अब्दुल हिदायत ने सपत्नीक नृत्य समारोह का आनंद लिया है।
वीपी धनंजयन, डा. शांता व सुनयना हजारी को मिला कालिदास सम्मान
खजुराहो नृत्य महोत्सव के मंच से राज्यपाल मंगुभाई भाई पटेल ने प्रसिद्ध नृत्य साधक वन्नाादिल पुदियोवेत्तिल धनंजयन और उनकी पत्नी डा. शांता और सुनयना हजारी को भी इस वर्ष प्रदेश के प्रसिद्ध कालिदास सम्मान से सम्मानित किया है। धनंजयन की जोड़ी भारत के मूर्धन्य नृत्य गुरुओं में सम्मिलित है। वीपी धनंजयन ने अपनी गुरु और कलाक्षेत्र की संस्थापक रुक्मणी देवी से भरतनाट्यम का प्रशिक्षण प्राप्त किया, प्रारंभ से ही संस्कृत नाट्य साहित्य में आपकी गहरी रुचि थी और उनकी इस रुचि को साधना की ओर उन्मुख किया कथकली नृत्य गुरु चंदू पणिक्कर ने। इसके बाद आप कलाक्षेत्र नृत्य संस्थान से जुड़कर अगले 15 वर्षों तक नृत्य प्रशिक्षण में लीन हो गए। वहीं डॉ. शांता धनंजयन ने केवल तीन वर्ष की आयु में ही नृत्य को अपना अनन्य सखा चुन लिया था और 8 वर्ष की आयु में वे कलाक्षेत्र से जुड़ गईं।
बिखरे कई गतिविधियों के रंग
खजुराहो नृत्य समारोह में पर्यटकों तथा विजिटरों को लुभाने के लिए कई अन्य गतिविधियां के अनूठे रंग बिखरे हुए हैं जो दर्शकों को सम्मोहित कर रहे हैं। इनमें नेपथ्य के अंतर्गत भारतीय नृत्य शैली कथक का सांस्कृतिक परिदृश्य एवं कलायात्रा का प्रदर्शन किया जा रहा है। वहीं आर्ट-मार्ट के तहत भारत सहित विश्व के अन्य देशों की कला प्रदर्शनी लगाई गई है। कलावार्ता के अंतर्गत देश भर से खजुराहो आए कलाकारों व कलाविदों का संवाद खास है। इसी तरह हुनर के अंतर्गत ज्ञान व कला परंपरा का मेला लगाया गया है।