2008 Ahmedabad Serial Bomb Blast Case: digi desk/BHN/ भोपाल/ अहमदाबाद सीरियल बम ब्लास्ट केस में गुजरात की
विशेष अदालत ने 49 में से 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इनमें पांच दोषी मध्य प्रदेश के भी हैं, जबकि तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। कुल 11 दोषियों को उम्र कैद सजा सुनाई गई है। मध्य प्रदेश के कुछ आरोपित भोपाल जेल में बंद हैं।
देश के इतिहास में यह पहला मौका
उल्लेखनीय है कि इस मामले में Ahmedabad serial bomb blast case करीब 14 साल बाद सजा का ऐलान गया है। बताया जा रहा है कि देश के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक साथ 38 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में 26 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई थी।जानकारी के अनुसार पिछली सुनवाई में 49 आरोपियों को दोषी पाया गया था, जबकि 28 अन्य बरी कर दिए गए थे।
56 लोगों की जान चली गई थी, 200 से अधिक घायल हो गए थे
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2008 को अहमदाबाद में एक के बाद एक हुए बम धमाके Ahmedabad serial bomb blast case हुए थे। इनमें 56 लोगों की जान चली गई थी जबकि 200 से अधिक घायल हो गए थे। इसके बाद इस्लामी आतंकवादी समूह हरकत-उल-जिहांद-अल-इस्लाम ने इस हमले की जिम्मेदारी लेने का दावा किया था। करीब 70 मिनट में अहमदाबाद में 21 बम विस्फोट किए गए थे।
अहमदाबाद ब्लास्ट केस में MP के आरोपियों की सूची
फांसी की सजा वाले
1. कमरुद्दीन नागौरी भोपाल जेल निवासी उज्जैन मध्य प्रदेश
2. आमिल परवाज भोपाल जेल निवासी उज्जैन मध्य प्रदेश
3. सफदर नागौरी भोपाल जेल निवासी उज्जैन मध्य प्रदेश
4. अमीन शेख निवासी इन्दौर मध्य प्रदेश
5. मोहम्मद मूवीन निवासी इन्दौर मध्य प्रदेश
जीवन अंत तक जेल में सजा काटने वाले
1. मोहम्मद अली निवासी जबलपुर मध्य प्रदेश
2. मोहम्मद सफीक अंसारी निवासी उज्जैन मध्य प्रदेश
3. मोहम्मद अबरार निवासी उज्जैन मध्य प्रदेश
पुलिस आरक्षक का बेटा है सफदर, इंजीनियरिंग में डिप्लोमा लेने के बाद चुनी आतंक की राह
अहमदाबाद बम धमाके के मामले में जिन 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई, उनमें से तीन उज्जैन के हैं। इनके नाम सफदर हुसैन नागोरी, कमरुद्दीन नागोरी और आमिल परवेज हैं। पुलिस के अनुसार सफदर हुसैन नागोरी इनमें प्रमुख था। सफदर उज्जैन जिले के महिदपुर का रहना वाला था। सफदर के पिता जहिरूल हसन पुलिस विभाग में आरक्षक थे। सफदर ने पालीटेक्निक की पढ़ाई पूरी कर डिप्लोमा लिया था।
सफदर ने अपने बयान में पुलिस को बताया था कि वह मस्जिद में नमाज पढ़ने जाया करता था। नमाज के बाद दर्से कुरान नाम का एक कार्यक्रम होता था। एक बार उसे एक इमाम ने इस कार्यक्रम में जाने को कहा। यह कार्यक्रम सिमी द्वारा आयोजित होता था। बस यहीं से सफदर आतंक की राह पर चल पड़ा। बकौल सफदर- मैं 1986 में सिमी से जुड़ गया था। इसके लिए मेंबरशिप फार्म भी भरा था।
सिमी पर प्रतिबंध के बाद और सक्रिय
सितंबर 2001 में संगठन सिमी पर प्रतिबंध लग गया। उस समय सफदर दिल्ली में था। संगठन पर प्रतिबंध के बाद वह मुंबई और फिर देश के कई शहरों में गया। इस दौरान इंदौर में उसकी मुलाकात कमरुद्दीन नागोरी और आमिल परवेज से भी हुई। वह कमरुद्दीन के साथ रहा। तीनों सिमी के काम को आगे बढ़ाने के लिए प्लानिंग करते थे। साथ ही युवकों को ट्रेनिंग भी देते थे। सफदर नागौरी सहित 13 साथियों को 27 मार्च 2008 में इंदौर से गिरफ्तार कर लिया गया था। पूछताछ में उसने यह भी स्वीकारा था कि इंदौर के समीप चोरल के फार्म हाउस पर वह सिमी आतंकियों के लिए ट्रेनिंग कैंप भी चलाते थे।