Lata mangeshkar cremated with full state honours fans bid farewell with moist eyes: digi desk/BHN/मुंबई/भारत रत्न से सुशोभित तथा मंगेशकर का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार मुंबई के शिवाजी पार्क में कर दिया गयाl उनका निधन रविवार की सुबह हो गया थाl लता मंगेशकर एक महीने पहले कोरोना से संक्रमित हुई थीl इसके बाद उन्हें निमोनिया हो गया थाl लता मंगेशकर की तबीयत में सुधार भी हुआl हालांकि बाद में उनकी तबीयत फिर बिगड़ गई और रविवार की सुबह उन्होंने प्राण त्याग दिएl
लता मंगेशकर की आवाज का जादू करोड़ों लोगों के सिर चढ़कर बोला
लता मंगेशकर की आवाज का जादू करोड़ों लोगों के सिर चढ़कर बोला हैl उन्होंने अपने 5 दशक से अधिक लंबे करियर में हजारों की संख्या में गाने गाए, जिसे फैंस ने काफी पसंद कियाl रविवार को ही उनका अंतिम संस्कार कर दिया गयाl इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किएl वहीं इस अवसर पर कई नेता और अभिनेता भी उपस्थित थेl
भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दी
लता मंगेशकर की चिता को भाई ह्रदयनाथ मंगेशकर ने मुखाग्नि दीl लता मंगेशकर के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर उनके घर से शिवाजी पार्क लाया गयाl जहां अंतिम संस्कार किया गयाl हजारों की संख्या में लोग लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि देने रोड पर नजर आएंl कई कलाकारों ने लता मंगेशकर के निधन पर दुख व्यक्त किया।
श्रद्धाजंलि देने वालों का लगा रहा तांता
लता मंगेशकर के निधन की खबर पूरे भारत में आग की लपटों की तरह फैलीl इसके बाद लोग उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने लगेl इसमें कई देशों के नागरिक भी शामिल हैl लता मंगेशकर के निधन पर दो दिवसीय राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई हैl वहीं महाराष्ट्र सरकार ने एक दिन के अवकाश की घोषणा की हैl लता मंगेशकर का निधन 92 वर्ष की आयु में हुआ हैl वह सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय थी।
फ्रांस की सरकार ने दिया था सर्वोच्च सम्मान
संगीत की दुनिया में असाधारण योगदान के लिए फ्रांस की सरकार ने लता मंगेशकर को 2009 में ‘लीजन डी आनर’ से सम्मानित किया था। यह फ्रांस का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। इससे पहले भारत सरकार ने 1989 में उन्हें ‘दादा साहेब फाल्के’ पुरस्कार प्रदान किया था। 1999 में लता मंगेशकर को ‘पद्म विभूषषण’ से सम्मानित किया गया। 2001 में उनको भारत के सबसे ब़़डे नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था।
खामोश रहा स्टूडियो
फेडरेशन आफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लाइज (एफडब्ल्यूआइसी) के अध्यक्ष बीएन तिवारी ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि रविवार को किसी भी गाने की रिकार्डिंग मुंबई के स्टूडियो में नहीं की गई। लता दीदी को सम्मान और श्रद्धांजलि देते हुए सभी रिकार्डिंग स्टूडियो बंद ही रखे गए।
पुरस्कार, जो लता जी को मिले तो सम्मानित हुए
- – फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 व 1994)
- – राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 व 1990)
- – महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 व 1967)
- – 1969 – पद्म भूषण
- – 1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज बुक रिकार्ड
- – 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- – 1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- – 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- – 1997 – राजीव गांधी पुरस्कार
- – 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
- – 1999 – पद्म विभूषण
- – 1999 – जी सिने का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- – 2000 – आइआइएएफ का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- – 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- – 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न”
- – 2001 – नूरजहां पुरस्कार
- – 2001 – महाराष्ट्र भूषण
‘आप सबको प्रणाम करती हूं और आज्ञा लेती हूं’, अनुपम खेर ने शेयर किया लता मंगेशकर का आखिरी संदेश
2022 में देश आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहा है। इसकी तैयारियों जोर-शोर से की जा रही हैं। इन्हीं तैयारियों के चलते अमृत महोत्सव कमेटी की दूसरी मीटिंग में स्वर कोकिला लता मंगेशकर भी जूम के माध्यम से शामिल हुई थीं। अनुपम खेर भी इस मीटिंग का हिस्सा थे।
जब लता मंगेशकर ने बोलना शुरू किया तो अनुपम खेर ने उनकी आवाज रिकॉर्ड कर ली। यह बात 22 दिसम्बर 2021 की है। तब उन्हें भी नहीं पता था कि यह भारतीय सिनेमा की लीजेंड्री गायिका का आखिरी संदेश बन जाएगा। इसके कुछ दिन बाद ही लता मंगेशकर को कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां से वो घर नहीं लौट सकीं।
अनुपम खेर ने अब यह ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया में साझा की है और पूरी दुनिया तक लता मंगेशकर का अंतिम संदेश पहुंचाया है। इस ऑडियो क्लिप में लता मंगेशकर श्रीमद्भागवत गीता का श्लोक यदा-यदा हि धर्मस्य… भी बोलते हुए अंत में कहती हैं- आप सबको प्रणाम करती हूं और आज्ञा लेती हूं… सुनने वालों को भी तब पता नहीं होगा कि लता दीदी को वो आखिरी बार सुन रहे हैं।
इससे पहले अनुपम खेर ने लता जी के घर जाकर उनकी बहन आशा भोसले से मुलाकात की थी और सांत्वना दी। इसकी तस्वीरें भी उन्होंने सोशल मीडिया में शेयर कीं। लता मंगेशकर को 8 जनवरी को कोरोना संक्रण के बाद मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था, जहां वो 29 दिन भर्ती रहीं। उनका इलाज आईसीयू में चल रहा था और वेंटिलेटर पर रखा गया था। शनिवार (5 फरवरी) को उनकी तबीयत बिगड़ गयी और रविवार सुबह उन्होंने आखिरी सांस ली।
विलक्षण लता मंगेशकर… केवल एक दिन गई थीं स्कूल, कई भाषाओं की जानकार
लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) के जीवन की अनेक ऐसी घटनाएं हैं जो नई पीढ़ी को भविष्य में भी प्रेरणा देती रहेंगी। यह बहुत कम ही लोगों को मालूम होगा कि अपने जीवन में पढ़ने के लिए वह केवल एक दिन स्कूल गई थीं। इस बारे में भी एक दिलचस्प वाकया सामने आता है।
समाचार एजेंसी पीटीआइ ने एक किताब के हवाले से बताया है कि अपने स्कूल के पहले दिन लता मंगेशकर अपनी छोटी बहन आशा को अपने साथ ले गई थीं। बहन को साथ लाने पर शिक्षिका ने विरोध तगड़ा विरोध किया था। इस पर लता गुस्से में घर वापस लौट आई थीं और फिर कभी भी स्कूल नहीं गईं। बताया जाता है कि इस घटना के वक्त लता जी की छोटी बहन आशा जी लगभग 10 महीने की थीं।
किताब के मुताबिक बाद में लता जी ने घर पर ही परिजनों की मदद से मराठी वर्णमाला सीखी। मराठी में ही लता जी ने मूल बातें पढ़ना और लिखना सिखा। ‘लता मंगेशकर… इन हर ओन वाइस’ नामक किताब में लेखिका और फिल्म निर्माता नसरीन मुन्नी कबीर (Nasreen Munni Kabir) कहती हैं कि लता जी ने बताया था कि वह लगभग तीन या चार साल की रही होंगी जब उन्होंने अपने नौकर विट्ठल (जो उस समय एक किशोर था) मराठी वर्णमाला सिखाने के लिए कहा था।
नसरीन मुन्नी कबीर ने लता जी से वार्तालापों को ‘लता मंगेशकर… इन हर ओन वाइस’ नामक किताब में संकलित किया है। बकौल लता जी उन्होंने घर पर ही मराठी का अध्ययन किया था। हालांकि लता जी ने इससे पहले कुछ नर्सरी कक्षाओं में भाग लिया था। लता जी के मुताबिक जब शिक्षक ब्लैकबोर्ड पर ‘श्री गणेश जी’ लिखते थे मैं इसे पूरी तरह से कॉपी करती थी। इसमें मुझे 10 में से 10 अंक मिले थे।
लता जी के मुताबिक यह तबकी घटना है जब उनकी चचेरी बहन वसंती सांगली में उनके घर के ठीक सामने एक मराठी माध्यम के स्कूल में तीसरी कक्षा में पढ़ रही थी। कभी-कभी वह अपने चचेरी बहन के साथ जाती थीं। जब वसंती को संगीत की शिक्षा दी जाती थी तब लता मंगेशकर शिक्षिका के गायन को ध्यान से सुनती थीं।
इस किताब में लता जी ने उस वाकये का जिक्र किया है। बकौल लता जी- एक दिन जब शिक्षिका ने उनकी ओर इशारा करते हुए चचेरी बहन से पूछा कि ‘वह कौन है? तब लता जी ने चहकते हुए कहा था कि मैं मास्टर दीनानाथ जी की बेटी हूं!’ शिक्षिका ने कहा- ‘वह इतने महान गायक हैं। क्या आप गा सकती हैं?’ लता जी ने उनसे कहा कि मैं कई राग (मालकौंस, हिंडोल, आदि) गा सकती हूं। इसके बाद शिक्षिका उन्हें सीधे स्टाफ रूम में ले गईं जहां सभी शिक्षक बैठे थे। उन्होंने लता जी से गाने के लिए कहा।
लता जी के मुताबिक उन्होंने हिंडोल पर एक शास्त्रीय संगीत गाया। तब वह चार या पांच साल की रही होंगी। लता जी कहती हैं कि उसी दिन मुझे स्कूल में दाखिला लेना था तब आशा की उम्र करीब 10 महीने की रही होगी। मैंने आशा को अपनी बाहों में लिया और सीधे स्कूल चली गई। लता जी कहती हैं कि मैं अपनी गोद में बहन आशा को लेकर कक्षा में दाखिल हुई। शिक्षिका ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यहां बच्चों को लाने की अनुमति नहीं है। मैं गुस्से में थी… उठी और आशा को लेकर घर आ गई और कभी स्कूल नहीं गई।