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OBC आरक्षण की गेंद अब MP सरकार के पाले में, ‘सुप्रीम’ आदेश-पहले पहले ट्रिपल टेस्ट, फिर कराएं पंचायत चुनाव

राज्य सरकार का दावा- पंचायत चुनाव से पहले वह देगी ओबीसी आरक्षण

Supreme court closed hearing regarding obc reservation in mp local body elections: digi desk/BHN/नई दिल्ली/भोपाल/ मध्य प्रदेश के त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय की गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। बुधवार को हुई सुनवाई के बाद तीन जजों की पीठ ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने से पहले राज्य सरकार ट्रिपल टेस्ट कराए और इस फैसले का पालन करते हुए आगे की कार्रवाई करे। संविधान के दायरे में रहते हुए आरक्षण देकर चुनाव कराए जा सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की इस व्यवस्था के बाद सरकार की पुनर्विचार याचिका निराकृत हो गई। इससे सरकार ने राहत की सांस ली है क्योंकि चुनाव पर से रोक हट गई है।

वरिष्ठ अधिवक्ता और कांग्रेस से राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा ने बताया कि हमने याचिका में जिस अध्यादेश के चुनौती दी थी वो सरकार ने वापस ले लिया है और चुनाव भी रद हो गए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को भी निराकृत कर दिया। तन्खा ने सुप्रीम कोर्ट की व्यवस्था के बाद कहा कि यही तो हम कह रहे थे कि मध्य प्रदेश सरकार ने अध्यादेश के माध्यम से अधिनियम में जो संशोधन किए हैं, वे असंवैधानिक और आरक्षित वर्ग के हितों के खिलाफ है।

यह होता है ट्रिपल टेस्ट

सरकार ओबीसी वर्ग को पंचायत चुनाव में आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट कराएगी। इसके तहत तीन चीजें करना होती हैं। पहली शर्त के रूप में राज्य अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग गठित किया जा चुका है। दूसरा, ओबीसी वर्ग के लोगों की गणना का काम चल रहा है। कलेक्टरों से ओबीसी मतदाताओं की जानकारी पंचायतवार एकत्र कराई जा रही है। तीसरा, इसके आधार पर आयोग पिछड़ा वर्ग की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन करके सरकार को प्रतिवेदन देगा। इस पर आरक्षण तय होगा।

उल्लेखनीय है कि शिवराज सरकार वर्ष 2019 में कमल नाथ सरकार के समय हुए पंचायतों के परिसीमन को निरस्त करने के लिए मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश लाई थी। इसकी वजह से वर्ष 2014 के चुनाव में लागू आरक्षण व्यवस्था प्रभावी हो गई थी।

राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव कार्यक्रम घोषित किया था। इसे पहले हाई कोर्ट में चुनौती दी गई लेकिन जब राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत चुनाव में ट्रिपल टेस्ट नहीं किए जाने के आधार पर ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी और राज्य निर्वाचन आयोग को आदेश दिया कि ओबीसी के लिए आरक्षित पदों को सामान्य श्रेणी में पुन: अधिसूचित किया जाए।

सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराना चाहती थी इसलिए पुनर्विचार याचिका दायर करके शीघ्र सुनवाई का अनुरोध किया पर सुप्रीम कोर्ट ने इन्कार कर दिया। इस बीच सरकार ने विधानसभा में ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव नहीं कराए जाने संबंधी संकल्प सर्वसम्मति से पारित कराया और राज्यपाल की अनुमति से मध्य प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश वापस ले लिया।

इस आधार पर राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव रद कर दिए। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान सरकार ने अध्यादेश वापस लेने और चुनाव रद होने की बात रखी। साथ ही कहा कि आगामी चुनाव ओबीसी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए कराए जाएंगे। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को निरस्त कर दिया।

पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय नहीं होने देगी सरकार

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि पिछड़ा वर्ग के साथ शिवराज सरकार किसी भी सूरत में अन्याय नहीं होने देगी। ट्रिपल टेस्ट रिपोर्ट के बाद पंचायतों के त्रिस्तरीय चुनावों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने हरी झंडी दी है। सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि चुनाव से संबंधित अध्यादेश निरस्त कर दिया है इसलिए याचिका सारहीन हो चुकी है। महाराष्ट्र राज्य के प्रकरण में पारित फैसला मध्य प्रदेश के निर्वाचनों में भी लागू होगा।

 

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