Happy New Year 2022: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ भारतीय पंचांग प्रणाली के अनुसार, प्रत्येक वर्ष का एक विशिष्ट नाम होता है। प्रत्येक नाम का एक अर्थ होता है। 60 वर्षों (संवत्सर) के नाम हैं। प्रत्येक नाम 60 साल बाद फिर से बजता है। साल आमतौर पर मध्य अप्रैल में शुरू होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, वर्ष 2019-20 का नाम ‘विकारी’ रखा गया था, जो एक ‘बीमारी’ वर्ष बनकर अपने नाम पर खरा उतरा। इसी तरह वर्ष 2020-21 का नाम ‘शर्वरी’ रखा गया, जिसका अर्थ है अंधेरा और इसने दुनिया को एक अंधेरे चरण में धकेल दिया। ज्योतिष के जानकार आगे बताते हैं कि अब ‘प्लावा’ वर्ष (2021-22) शुरू हो रहा है। ‘प्लावा’ का अर्थ है, ‘वह – जो हमें पार ले जाए।’ यही बात वराह संहिता में लिखी गई है।
वराह संहिता के अनुसार, प्लावा वर्ष का तात्पर्य है, यह दुनिया को असहनीय कठिनाइयों के पार ले जाएगा और हमें गौरव की स्थिति तक पहुंचाएगा। हमें अंधेरे से प्रकाश की ओर ले जाएगा। इसी तरह इसके बाद आने वाले यानी वर्ष 2022-23 को शुभक्रुत नाम दिया गया है, जिसका अर्थ है कि जो शुभता पैदा करता है। कुल मिकलर भारतीय ज्योतिष कहता है कि आने वाला समय शुभ है। हम अब आगे देख सकते हैं और एक बेहतर कल की उम्मीद कर सकते हैं।
इसलिए कहा जा रहा शुभ होगा नया साल
- 2019-20: विकारी यानी बीमारी वर्ष
- 2020-21: शर्वरी यानी अंधेरा
- 2021-22: प्लावा वर्ष याी जो पार ले जाए।
- 2022-23: शुभक्रुत यानी शुभता
नए वर्ष से नई शुरुआत
हर कोई नए साल से नई शुरुआत करना चाहता है। पूरी दुनिया चाहती है कि कोरोना जैसी महामारी से छुटकारा मिले। अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो और इसका फायदा हर आम आदमी तक पहुंचे। लोगों को अपनी नौकरियों की चिंता न हो। बिजनेस खत्म होने का डर न हो। लोग बीमार न हो और बीमार होने पर पूरा इलाज मिले। अब ज्योतिष के माध्यम से सनातन धर्म ने भी यही बात कही है। सनातन धर्म में सभी प्रणालियों का सबसे वैज्ञानिक, व्यावहारिक और समावेशी है। हमारे ऋषि और मुनि सटीक भविष्यवाणी कर सकते थे जबकि आधुनिक समय के गैजेट और उपकरण तब मौजूद नहीं थे।