कटनी, भास्कर हिंदी न्यूज़/ गुरुवार को शुरू हुई शीतलहर ने जिलेवासियों को कंपा दिया। दिन भर पैरों में गलन रही। अब तक दिन में गरम कपड़ों से परहेज कर रहे युवा भी गुरुवार को गरम कपड़े पहने नजर आए। परिजन सर्दी से बड़ों और बुजुर्गों को बचाने के लिए सतर्क हो गए हैं। अचानक हुई बारिश ने जनजीवन अस्तव्यस्त कर दिया है। शीतलहर भी अपना कमाल दिखा रही है। लोग कांप रहे हैं और ऐसा लग रहा है कि मानो 24 घंटे की रात हो गई है।
सूर्य के दर्शन रुक-रुक कर हुए। ऐसे में लोगों को दिन में भी बिजली जलाकर काम करना पड़ा। दफ्तरों व घरों में अब हीटर भी चलना शुरू हो गए हैं। दिन के समय में भी लोग आग जलाकर खुद को सर्दी से निजात दिलाने के प्रयास में जुटे नजर आए। बारिश होने से जिले के कई धान खरीदी केंद्रों में फसल गीली हो गई है। वहीं सड़क में बने गड्ढों में पानी भर जाने से आवागमन प्रभावित हो रहा है।
इस तरह से तापमान डाल रहा असर
जिले का तापमान बारिश होने से लगातार गिरने की स्थिति में आ गया है। शीतलहर चल रही है। पिछले तीन दिनों से ठंडक अपना असर डाल रही है। गुरुवार को न्यूनतम तापमान सात डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। आधा दिसंबर बीतने के बाद भी ठंडक का ज्यादा एहसास नहीं हो रहा था लेकिन बारिश के बाद मौसम का मिजाज एकदम बदल गया। कोहरा नहीं आया लेकिन आसमान में बादल छाए रहे। सुबह चल रही शीतलहर ने लोगों की कंपकंपी छुड़ाए रखी। दो दिन की ही ठंड ने सुबह सैर पर निकलने वाले लोगों को घरों में कैद होने को मजबूर कर दिया है।
खरीदी केंद्र में भीग गई धान
जिले में बनाए गए धान खरीदी केंद्र में खुले में पड़ी हजारों क्विंटल धान गीली हो गई है। इसे बारिश से बचाने के लिए प्रयास तो किए गए। लेकिन नाकाफी रहे। बारिश के छींटे धान की बोरियां तक पहुंच ही गए। तेज हवाओं के साथ बारिश होने से धान को गीला होने से बचाया नहीं जा सका। यही हाल जिले के और भी कई केंद्रों का रहा।
उठाव में लेटलतीफी बनी है मुसीबत
धान खरीदी के बाद समय से धान का उठाव नहीं हो पाने की वजह से धान खुले में पड़ी रही और गीली हो गई। अब विभागीय अधिकारी अपने अपने ढंग से इस धान को बचाने में लगे हैं। धान गीली नहीं हो पाई है। परिवहन का काम जारी है जो धान केंद्र के बाहर पड़ी है उसे ढकवा दिया गया है।