MP government will go to supreme court regarding obc reservation in panchayat elections: digi desk/BHN/भोपाल /त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का आरक्षण समाप्त करने के फैसले को लेकर शिवराज सरकार सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेगी। केंद्र सरकार भी इस मामले में कोर्ट जाएगी। पिछड़ा वर्ग को उनके अधिकार दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को विधानसभा में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कही। दोनों पक्षों की सहमति के बाद विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने प्रश्नकाल स्थगित करके कांग्रेस विधायक कमलेश्वर पटेल सहित अन्य के स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की अनुमति दी। शिवराज सिंह ने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ से सवाल किया कि जब 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर हाई कोर्ट ने स्थगन दिया था तो उस आदेश के खिलाफ आपकी सरकार सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं गई?
ओबीसी की पीठ में छुरा घोंपा है, सुप्रीम कोर्ट क्यों गए
मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में 8827 पदों पर भर्ती की गई है, जिसमें ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है। 2021-22 में 23 हजार पदों के लिए भर्ती परीक्षा आयोजित की जा रही है, उसमें भी 27 प्रतिशत आरक्षण ओबीसी को दे रहे हैं। ओबीसी आरक्षण समाप्त करने को लेकर जो आदेश आया है, उसके लिए कांग्रेस जिम्मेदार है। कांग्रेस ने ओबीसी की पीठ में छुरा घोंपने का काम किया है। यदि हितैषी थे तो फिर सुप्रीम कोर्ट क्यों गए? अब सफाई दे रहे हैं कि हमारी याचिका नहीं थी। इनके विद्वान अधिवक्ता ने कोर्ट में यह क्यों नहीं कहा कि हम याचिका वापस ले रहे हैं। मेरी प्रधानमंत्री जी से बात हुई है, केंद्र सरकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा रही है। हम भी जा रहे हैं।
सरकार की नियत साफ थी, तो दूसरे दिन कोर्ट क्यों नहीं गए: कमल नाथ
वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ ने कहा कि सरकार कल कोर्ट जाए, हम साथ हैं। सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ, यह सब रिकार्ड में है। किसी याचिका में ओबीसी आरक्षण का विषय नहीं था। भाजपा सरकार की मंशा पंचायत चुनाव कराने की नहीं थी इसलिए ऐसा अध्यादेश लाए, जिसके विरुद्ध प्रभावित पक्ष कोर्ट गया। जिस समय यह फैसला सुनाया, तब सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के अधिवक्ता मौजूद थे पर एक शब्द नहीं कहा। जबकि, इन्हें कहना चाहिए था कि ओबीसी आरक्षण के बिना चुनाव हमें मंजूर नहीं है। विवेक तन्खा को लेकर गलतबयानी की जा रही है। यदि सरकार की नियत साफ होती तो सरकार अगले दिन कोर्ट क्यों नहीं गई। ऐसे चुनाव का कोई मतलब नहीं है, जिसमें सबकी सहभागिता न हो।
जान भी देनी पड़ी तो देंगे पर आरक्षण नहीं रुकने देंगे- भूपेन्द्र सिंह
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने मनमाने तरीके से पंचायतों का गठन और रोटेशन किया था। हम जो अध्यादेश लाए थे, वो विधि सम्मत था। कांग्रेस के लोग यह नहीं चाहते थे कि पंचायत चुनाव हों इसलिए बार-बार कोर्ट गए। ओबीसी आरक्षण को लेकर आज जो स्थिति है, उसके लिए सौ प्रतिशत कांग्रेस जिम्मेदार है। विवेक तन्खा अधिवक्ता और कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं। वे दस करोड़ रुपये का नोटिस देने की धमकी दे रहे हैं लेकिन जो 10 पीढ़ियां बर्बाद कर दीं, उसका क्या? यदि जान भी देनी पड़ी तो देंगे लेकिन ओबीसी आरक्षण को रुकने नहीं देंगे।