Know reason and benefit why center decided to make minimum age of women 21 years for marriage: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ केंद्र सरकार ने भारत में विवाह के लिए महिलाओं की न्यूनतम आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने का निर्णय किया है। केंद्रीय कैबिनेट में इसे मंजूरी दे दी गई है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि आखिर सरकार यह निर्णय क्यों ले रही है। महिलाओं के लिए विवाह की आयु 21 वर्ष करने से क्या लाभ होंगे, खासकर स्वास्थ्य संबंधी।
विवाह की न्यूनतम आयु आवश्यक
देश में विवाह के लिए पुरुषों और महिलाओं की न्यूनतम आयु निश्चित करने के महत्वपूर्ण कारण होते हैं। सबसे प्रमुख सामाजिक व स्वास्थ्य संबंधी कारण यह है कि इससे बाल विवाह की कुप्रथा पर अंकुश लगाने में सहायता मिलती है। भारत में बाल विवाह एक बड़ी समस्या है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के ताजा आंकड़ों की बात करें तो 2019-20 में देश में बाल विवाह की दर 23 प्रतिशत थी। 2015-16 में यह 27 प्रतिशत थी। विवाह के लिए न्यूनतम आयु से अवयस्कों के शोषण को भी कम किया जा सकेगा।
अलग-अलग व्यवस्था, बदलने होंगे कानून
भारत में विवाह के लिए न्यूनतम आयु की परिभाषा व सीमा अलग-अलग पर्सनल ला में अलग-अलग है। हिंदू विवाह अधिनियम-1955 के अनुसार विवाह के लिए महिला की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होनी चाहिए। पुरुष के लिए यह आयु 21 वर्ष है। वहीं, इस्लाम के अनुसार यौवनारंभ की अवस्था प्राप्त करने पर अवयस्क बालिका का भी विवाह किया जा सकता है। विशेष विवाह अधिनियम और बाल विवाह रोकथाम अधिनियम में भी महिला व पुरुष के लिए विवाह की न्यूनतम आयु क्रमश:18 व 21 वर्ष बताई गई है। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा लिए गए निर्णय को लागू करने के लिए अब इन अधिनियमों में बदलाव करने होंगे।
इसलिए है आयु बदलने की आवश्यकता
केंद्र सरकार ने महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु को 21 वर्ष करने का निर्णय कई कारणों से किया जिनमें लिंग के प्रति तटस्थता (जेंडर न्यूट्रैलिटी) भी शामिल है। कम आयु में विवाह होने से महिलाओं में स्वास्थ्य संबंधी भी कई परेशानियां देखी जाती हैं। जल्दी विवाह के बाद जल्दी गर्भाधान से स्वास्थ्य पर विपरीत असर हो सकता है, मां और बच्चे में पोषण की समस्या भी सामने आती है और समग्र रूप से जच्चा-बच्चा के स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में भी विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाकर कमी लाई जा सकती है।
बनाई थी समिति
बेटियों को कुपोषण से दूर रखने और सही आयु में विवाह करने के लिए केंद्र सरकार ने एक समिति बनाई थी। बीते साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसकी जानकारी दी थी। समता पार्टी की पूर्व अध्यक्ष जया जेटली की अध्यक्षता में बनी समिति को महिलाओं में कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु देर, एनीमिया और अन्य सामाजिक मानकों तथा विवाह की न्यूनतम आयु में संबंध का अध्ययन कर रिपोर्ट देनी थी। समिति ने देश के 16 विश्वविद्यालयों में वयस्क युवाओं से इस मामले में राय ली। दूरदराज व ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं की सलाह लेने के लिए 15 गैरसरकारी संगठनों की सहायता ली गई। सभी धर्मो के युवाओं से सलाह लेने के बाद समिति ने महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु को 18 से बढ़ाकर 21 वर्ष करने की संस्तुति की। इस समिति में नीति आयोग के सदस्य डा. वीके पाल सहित कई मंत्रालयों के सचिव भी शामिल थे।
आयु बढ़ाने का विरोध भी
कुछ बाल व महिला अधिकार कार्यकर्ता और परिवार नियोजन व जनसंख्या विशेषज्ञ महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु बढ़ाने की बात से सहमत नहीं हैं। इनका मानना है कि इस प्रकार के अधिनियम से अवैध विवाह की संख्या बढ़ेगी। यह वर्ग अपने मत के पक्ष में यह तर्क भी देता है कि महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष होने के बावजूद देश में बाल विवाह पर रोक नहीं लग सकी है।