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मंगलवार को है बैकुंठ एकादशी , इस दिन भगवद गीता अस्तित्व में आई थी, जानिये पूजा का समय

Vaikuntha ekadashi is on 14th december on this day bhagavad gita came into existence: digi desk/BHN/ नई दिल्ली/  वैकुंठ एकादशी हिंदू भक्तों के लिए महत्वपूर्ण एकादशी में से एक है क्योंकि यह भगवान विष्णु को समर्पित है। इसे मोक्षदा एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार मार्गशीर्ष या अग्रहयण के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को शुभ दिन मनाया जाता है। इस दिन, वैकुंठ (भगवान विष्णु का स्वर्गीय निवास) के दरवाजे खुले रहते हैं। इसलिए जो भक्त इस दिन एक दिन का उपवास रखते हैं, उन्हें समृद्ध, स्वस्थ और समृद्ध जीवन प्रदान किया जाता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार वैकुंठ एकादशी का दिन बेहद शुभ होता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन श्रीहरि विष्णु के निवास यानी वैकुंठ के दरवाजे खुले रहते हैं। इसलिए आज के दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्त होती है और वैकुंठ एकादशी का व्रत करने वाले सीधे स्वर्ग में जाते हैं। तमिल पंचांग के अनुसार, इसे धनुर्मास या मार्गाज्ही मास भी कहते हैं। वैकुंठ एकादशी को मुक्कोटी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है और केरल में इसे स्वर्ग वथिल एकादशी कहते हैं।इस शुभ दिन पर भगवद गीता अस्तित्व में आई थी। यहां जानिये इस पर्व का महत्‍व एवं पूजा का समय सहित विधि।

वैकुंठ एकादशी की तिथि और पूजा का शुभ समय

  • दिनांक: 14 दिसंबर, मंगलवार
  • एकादशी तिथि शुरू – 09:32 अपराह्न 13 दिसंबर 2021
  • एकादशी तिथि समाप्त – 14 दिसंबर 2021 को रात 11:35 बजे
  • पारण दिवस पर द्वादशी समाप्ति क्षण – 02:01 पूर्वाह्न, 16 दिसंबर

वैकुंठ एकादशी का यह है महत्व

हिंदू ग्रंथों के अनुसार, यह सभी 24 एकादशियों में से सबसे शुभ है। मान्यता के अनुसार, वैकुंठ द्वार खुला रहता है और भगवान विष्णु अपने भक्तों को मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं।

एकादशी की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठकर गंगा या यमुना जैसी नदियों के पवित्र जल में स्नान करें। इसके अलावा, आप नहाते समय गंगाजल की कुछ बूंदों को अपनी बाल्टी में मिला सकते हैं। इस अवसर पर भगवान विष्णु की धूप, दीप तथा चंदन से उनकी पूजा की जानी चाहिए। तुलसी पत्र अर्पित करते हुए विष्णु जी को भोग लगाना चाहिए। इस दिन भगवत गीता व श्री सुक्त का पाठ किया जाता है।

अनुष्‍ठान का तरीका

  • – सभी पूजा सामग्री जैसे फूल, अगरबत्ती आदि इकट्ठा करें
  • – भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं, तिलक करें और पुष्प अर्पित करें
  • – पूजा पाठ करें या नमो भगवते वासुदेवय मंत्रों का जाप करें और वैकुंठ एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
  • – एक दिन का उपवास रखने के लिए संकल्प लें
  • – प्रसाद चढ़ाएं और भगवान विष्णु की आरती कर पूजा समाप्त करें

एकादशी की मान्यता

मान्यता है कि भगवान विष्णु को कमल के फूल अतिप्रिय हैं। इसलिए जो भक्त कमल के फूल से भगवान विष्णु की पूजा करते हैं वह वैकुंठ धाम को प्राप्त होता है। इस दिन खिचड़ी बनती है, फिर उसका घी और आम के अचार के साथ भोग लगाकर वही प्रसाद रूप में खखाया जाता है।

वैकुंठ एकादशी की कथा

मान्‍यता है कि वैकुंठ एकादशी का व्रत करने वाला मनुष्य शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। पुराणों में मिली कथा के अनुसार सीता का पता लगाने के लिए श्री रामचन्द्र वानर सेना के साथ समुद्र के उत्तर तट पर खड़े थे और रावण जैसे बलवान शत्रु और सागर की गम्भीरता को लेकर चिन्तित थे। इसके पार पाने के उपाय के रूप में मुनियों ने उन्हें वैकुंठ एकादशी का व्रत करने का परामर्श दिया। इसी व्रत के प्रभाव से उन्‍होंने सागर पार करके रावण का वध किया था।

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