Inadequate emergency treatment facilities in the country condition of 100 hospitals worse report of aiims: digi desk/BHN/नई दिल्ली/ देश में स्वास्थ्य संबंधी आपातस्थिति से निपटने के लिए इंतजाम नाकाफी हैं। पूरे अस्पताल के तीन से पांच प्रतिशत बेड ही इमर्जेंसी डिपार्टमेंट में हैं। यह बात देश के 100 इमर्जेंसी और इंज्यूरी केयर सेंटरों के हालात देखने पर सामने आई है। दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने इस बाबत रिपोर्ट तैयार कर नीति आयोग को सौंपी है। कोरोना संक्रमण के दौर में आई इस रिपोर्ट का खास महत्व है।
स्टाफ की कमी से जूझ रहे ज्यादातर अस्पताल
रिपोर्ट के अनुसार ज्यादातर अस्पताल डाक्टरों, विशेषज्ञों और नर्सिग स्टाफ की कमी की समस्या से जूझ रहे हैं। इसका असर मरीजों और खासतौर से आपात सेवाओं पर पड़ रहा है। इसलिए अस्पतालों में अविलंब मानव संसाधन की कमी को पूरा किए जाने की जरूरत है। रिपोर्ट में 28 राज्यों और दो केंद्रशासित प्रदेशों को फोकस कर रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें सरकारी और निजी क्षेत्र, दोनों के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों से जानकारी दी गई है।
जरूरी सुविधाओं की भारी कमी
कुल 100 अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में 34 जिला अस्पतालों के इमर्जेंसी डिपार्टमेंट हैं। सभी 100 अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में मानव संसाधन के साथ ही आवश्यक सुविधाओं की भारी कमी पाई गई है। 73 प्रतिशत इमर्जेसी डिपार्टमेंट में केयर लैब नहीं है। 65 प्रतिशत में निर्धारित ट्राइएज एरिया नहीं है। इमर्जेसी डिपार्टमेंट के लिए जरूरी पुलिस कंट्रोल रूम 56 प्रतिशत जगहों पर नहीं हैं।
पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं
55 प्रतिशत स्थानों पर अलग से एंबुलेंस की सुविधा नहीं है और 52 प्रतिशत इमर्जेंसी डिपार्टमेंट के पास पर्याप्त जगह नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार सरकारी और निजी अस्पतालों में औसतन नौ से तेरह प्रतिशत आपातस्थिति में इलाज लेने वाले या घायल आते हैं। सरकारी अस्पतालों की इमर्जेंसी में 19 से 24 प्रतिशत तक पहुंचते हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में इन मरीजों को पर्याप्त चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पाती है।